Vishal Maurya   (Vishaloktiya)
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Joined 30 May 2017


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Joined 30 May 2017
29 NOV 2021 AT 17:53

अगर आपकी कहानी 'दर्द' बयां नही करती,
तो मान लीजिये ,
आपकी कहानी 'गूंगी' है ।

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10 OCT 2021 AT 19:45

कुछ जिंदा लाशें हैं,
कुछ लाशों पर सियासत जिंदा है,
.
.
.

बाकी लोग इन हर्फ़ों का मतलब ढूंढ रहे !

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25 AUG 2021 AT 8:18


कभी शाम....तो कभी रात को ,आखिर
टूटते देखा है मैंने उसे ,
शाखों से गिरते... पत्ते हो जैसे ,
बिन हवा के बहाव के ।
 
एक ठंडी सुहानी हवा ,
जो उस शाम चल पड़ी थी ,
किसी टूटते पत्ते को सहारा देने ,
हाँ ...उसी पीले पत्ते को ,
जो हरा था कभी ।
 
एक छोटा सा ही सही ,
वो भी हिस्सा था... इस पुराने पेड़ जैसे समाज का ,
धूप ठंड और बरसात उसने भी ,
झेले थे कभी ।
 
आज जमीं के कितना पास आ गया ,
गिरते हुये,
एक ठंडी हवा का झोका .... जो चला था कुछ लम्हे पहले ही ,
उड़ा ले गया उसे दूर ,
उस छोटे बच्चे की किस्मत की हथेली मे ,
जो अंजान था...
इस पेड़ रूपी समाज
के गणित से,
जो बूढ़े का वजूद आंकता था.... न के बराबर ।

 
 

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15 AUG 2021 AT 9:49

मजहब चाहे हज़ार हो ..पर ख़ुदा एक हो ,
ऎसी गलतफहमी में.. जीने वाली.. आबादी चाहिए !

मुल्क के वास्ते ..दो पल ज्यादा चले ,
इस कदर साँसे ...कामकाजी चाहिए !

कब तलक सीमा पर.. ढेर होते रहेंगे.. हमारे जवान ,
अब दुश्मन की भी होनी कुछ.. मेहमाननवाजी चाहिए !

मैं भले मर जाऊं ...पर मुल्क जीता रहे ,
ऐसी भी मुझे ...बर्बादी चाहिए !

यूँ तो मुल्क को आजाद हुए.. वर्षों हो गए 'विशाल' ,
पर अब भी कुछ है ..जिनसे हमें आज़ादी चाहिए !

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13 AUG 2021 AT 21:57

आईने में बसने वाले शख्स
इत्तफाक नही रखता
किसी बात से ,

समझ नही आता
कौन ज्यादा झूठा है वो या मैं?

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13 AUG 2021 AT 10:56

बाहर से क्यों देख रहा मुझे,
मुझको मेरे अंदर ढूंढ ।

चाँद की तारीफ हो गयी,
चल काला सा दाग ढूंढ ।

चेहरे की हँसी देख ली तूने,
चल आंखों का समंदर ढूंढ ।

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12 AUG 2021 AT 10:54

ख्याल

जब नींदे रूसवां होती है ,
आंखों का काम बढ़ता है ।

लड़ने लगते हैं इसी बीच दिमाग और दिल ,
तंग हो चुका हूँ मैं इनकी मांगों से ।
सोना पसंद एक को तो ,
दूसरे को जागना !

फिर एक जादू होता है ,
तुम न हो के भी होती हो ,
मेरे ख़यालों में !

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1 AUG 2021 AT 13:57

जो हमे मार गिराए वो तीर बना नही ,
बस तुम्हारी दोस्ती का मारा हूँ दोस्तों |

अपनाता नही कोई बिना मतलब के ,
न हो सका किसी का तो तुम्हारा हूँ दोस्तों |

जिंदगी उलझाये है मसरूफ़ियत में अब भी ,
पर तेरी यारी निभाने को आवारा हूँ दोस्तों |

पार हुआ वो समंदर बस तेरी बदौलत ,
अब उस समंदर का किनारा हूँ दोस्तों |



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31 JUL 2021 AT 22:12

A Summer for me but you know it was a Rainy season !

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31 JUL 2021 AT 22:09

Heros , the story is 'Hero' in itself !

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