Vishal Kumar Singh   (मुहाफ़िज़)
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कारीग़र हो तो आज़माये जाओगे, उसे जो है ख़ला महल करना है...
Insta ID @songweaver_duo
Joined 26 November 2018


कारीग़र हो तो आज़माये जाओगे, उसे जो है ख़ला महल करना है...
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23 DEC 2022 AT 21:45

देखो ज़माना किस तरह बदल रहा है,
पहाड़ों से बर्फ़ पिघल रहा है,

ये मौसम देख़कर कोई बता नहीं सकता
कि कौन सा गुज़रा कौन सा चल रहा है,

मैं आज जो ख़ाली रास्ता चुन रहा हूं
कल हर कोई उस पर चल रहा है,

ये जो तुमको खंडहर लगता है
इक ज़माने में कभी महल रहा है,

अपनी तशफ़ी के लिए हमने लगाई थी आग
मग़र अब सारा जंगल जल रहा है . . .!!!

*तशफ़ी - comfort— % &

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4 DEC 2022 AT 11:44

तुम ये मान के चलो कि हमने कोई ख़त लिखा नहीं
हम ये मानकर चलते हैं कि तुम्हें वो ख़त मिला नहीं

इस तरह अपने मन में तुम भी जीत जाना
इस तरह अपने मन में हम भी हार जाएंगे
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15 NOV 2022 AT 17:56

कांधे पर किसी के रख़ के सर
कोई ऐसे भी जीता है उम्र भर,

ख़ुदा अब ऐसा मंज़र ना दिखला
आती है किसी की याद देख़कर !!!— % &

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26 OCT 2022 AT 21:42

क्यों रूठे हो तुम बता तो दो
ये पर्दा ए राज़ हटा तो दो

पहले ही क्यों करते हो बातें फ़ुर्कत की
ग़र हुई है ख़ता सज़ा तो दो

मैं भी हसूॅंगा पागलों की तरह
टूट जाऊॅं पहले ऐसे रुला तो दो

नफरतें दिखाओ कुछ तो हंगामा करो
मुझे चले जाने की वजह तो दो

याद करना उसे भी एक रोज़ मुहाफ़िज़
पूरी तरह मग़र उसे भुला तो दो . . .!!!
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12 SEP 2022 AT 23:56

मुझे अब उसके शहर नहीं रहना
हसीन शाम बीत गई दोपहर नहीं रहना

बाहर नहीं निकलने वाला मैं
अब मुझे अपने घर नहीं रहना

वो जो मुझ में रोशनी न ढूंढ पाया
मुझे उसका सहर नहीं रहना

ये रास्ते उसकी यादों की नुमाइश करते हैं
मुझे इन रास्तों का हमसफ़र नहीं रहना
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4 SEP 2022 AT 10:31

इक सवाल मुझ में पछताता रह गया
कोई जवाब के लिए तरसाता रह गया

वो जो मेरा था अब मेरी ख़्वाहिश नहीं रख़ता
मैं अपनी हसरतें सुनाता रह गया

यही सोंचकर कि वो रोक लेगा मुझको
मैं जा रहा था और जाता रह गया

तसव्वुर में उससे करता रहा बातें
जब सामने था उसकी तस्वीर बनाता रह गया

अब वो साथ नहीं ये जानता तो हूॅं
पर ख़ुद को उम्र भर समझाता रह गया
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31 AUG 2022 AT 0:57

हमारी ही तरह क्यों हमको सताया गया,
ऐ चाहने वाले क्या और नफ़रत नहीं की गई !?!— % &

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8 AUG 2022 AT 15:43

भले इस रास्ते पर तुझसे मेरा मिलना आख़री है मग़र

एक रास्ता और है मेरे ज़हन में जो ख़्वाबों तक भी जाता है !!!

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26 JUL 2022 AT 0:31

जाने की जो भी वजह रही होगी,
किसी के लिए तो सज़ा रही होगी . . .!!!— % &

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15 JUL 2022 AT 16:57

इक ज़माने में हमारे दरमियां मुरसलात कई हुए,
इक ज़माने बाद हम दोनों फिर अजनबी हुए . . .!!!

*मुरसलात - exchange of letters— % &

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