देखो ज़माना किस तरह बदल रहा है,पहाड़ों से बर्फ़ पिघल रहा है,ये मौसम देख़कर कोई बता नहीं सकताकि कौन सा गुज़रा कौन सा चल रहा है,मैं आज जो ख़ाली रास्ता चुन रहा हूंकल हर कोई उस पर चल रहा है,ये जो तुमको खंडहर लगता हैइक ज़माने में कभी महल रहा है,अपनी तशफ़ी के लिए हमने लगाई थी आगमग़र अब सारा जंगल जल रहा है . . .!!!*तशफ़ी - comfort— % & -
देखो ज़माना किस तरह बदल रहा है,पहाड़ों से बर्फ़ पिघल रहा है,ये मौसम देख़कर कोई बता नहीं सकताकि कौन सा गुज़रा कौन सा चल रहा है,मैं आज जो ख़ाली रास्ता चुन रहा हूंकल हर कोई उस पर चल रहा है,ये जो तुमको खंडहर लगता हैइक ज़माने में कभी महल रहा है,अपनी तशफ़ी के लिए हमने लगाई थी आगमग़र अब सारा जंगल जल रहा है . . .!!!*तशफ़ी - comfort— % &
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तुम ये मान के चलो कि हमने कोई ख़त लिखा नहींहम ये मानकर चलते हैं कि तुम्हें वो ख़त मिला नहींइस तरह अपने मन में तुम भी जीत जानाइस तरह अपने मन में हम भी हार जाएंगे— % & -
तुम ये मान के चलो कि हमने कोई ख़त लिखा नहींहम ये मानकर चलते हैं कि तुम्हें वो ख़त मिला नहींइस तरह अपने मन में तुम भी जीत जानाइस तरह अपने मन में हम भी हार जाएंगे— % &
कांधे पर किसी के रख़ के सरकोई ऐसे भी जीता है उम्र भर,ख़ुदा अब ऐसा मंज़र ना दिखलाआती है किसी की याद देख़कर !!!— % & -
कांधे पर किसी के रख़ के सरकोई ऐसे भी जीता है उम्र भर,ख़ुदा अब ऐसा मंज़र ना दिखलाआती है किसी की याद देख़कर !!!— % &
क्यों रूठे हो तुम बता तो दोये पर्दा ए राज़ हटा तो दोपहले ही क्यों करते हो बातें फ़ुर्कत कीग़र हुई है ख़ता सज़ा तो दो मैं भी हसूॅंगा पागलों की तरहटूट जाऊॅं पहले ऐसे रुला तो दोनफरतें दिखाओ कुछ तो हंगामा करोमुझे चले जाने की वजह तो दोयाद करना उसे भी एक रोज़ मुहाफ़िज़पूरी तरह मग़र उसे भुला तो दो . . .!!!— % & -
क्यों रूठे हो तुम बता तो दोये पर्दा ए राज़ हटा तो दोपहले ही क्यों करते हो बातें फ़ुर्कत कीग़र हुई है ख़ता सज़ा तो दो मैं भी हसूॅंगा पागलों की तरहटूट जाऊॅं पहले ऐसे रुला तो दोनफरतें दिखाओ कुछ तो हंगामा करोमुझे चले जाने की वजह तो दोयाद करना उसे भी एक रोज़ मुहाफ़िज़पूरी तरह मग़र उसे भुला तो दो . . .!!!— % &
मुझे अब उसके शहर नहीं रहनाहसीन शाम बीत गई दोपहर नहीं रहनाबाहर नहीं निकलने वाला मैंअब मुझे अपने घर नहीं रहनावो जो मुझ में रोशनी न ढूंढ पायामुझे उसका सहर नहीं रहनाये रास्ते उसकी यादों की नुमाइश करते हैंमुझे इन रास्तों का हमसफ़र नहीं रहना— % & -
मुझे अब उसके शहर नहीं रहनाहसीन शाम बीत गई दोपहर नहीं रहनाबाहर नहीं निकलने वाला मैंअब मुझे अपने घर नहीं रहनावो जो मुझ में रोशनी न ढूंढ पायामुझे उसका सहर नहीं रहनाये रास्ते उसकी यादों की नुमाइश करते हैंमुझे इन रास्तों का हमसफ़र नहीं रहना— % &
इक सवाल मुझ में पछताता रह गयाकोई जवाब के लिए तरसाता रह गयावो जो मेरा था अब मेरी ख़्वाहिश नहीं रख़तामैं अपनी हसरतें सुनाता रह गयायही सोंचकर कि वो रोक लेगा मुझकोमैं जा रहा था और जाता रह गयातसव्वुर में उससे करता रहा बातेंजब सामने था उसकी तस्वीर बनाता रह गयाअब वो साथ नहीं ये जानता तो हूॅंपर ख़ुद को उम्र भर समझाता रह गया— % & -
इक सवाल मुझ में पछताता रह गयाकोई जवाब के लिए तरसाता रह गयावो जो मेरा था अब मेरी ख़्वाहिश नहीं रख़तामैं अपनी हसरतें सुनाता रह गयायही सोंचकर कि वो रोक लेगा मुझकोमैं जा रहा था और जाता रह गयातसव्वुर में उससे करता रहा बातेंजब सामने था उसकी तस्वीर बनाता रह गयाअब वो साथ नहीं ये जानता तो हूॅंपर ख़ुद को उम्र भर समझाता रह गया— % &
हमारी ही तरह क्यों हमको सताया गया,ऐ चाहने वाले क्या और नफ़रत नहीं की गई !?!— % & -
हमारी ही तरह क्यों हमको सताया गया,ऐ चाहने वाले क्या और नफ़रत नहीं की गई !?!— % &
भले इस रास्ते पर तुझसे मेरा मिलना आख़री है मग़र एक रास्ता और है मेरे ज़हन में जो ख़्वाबों तक भी जाता है !!!— % & -
भले इस रास्ते पर तुझसे मेरा मिलना आख़री है मग़र एक रास्ता और है मेरे ज़हन में जो ख़्वाबों तक भी जाता है !!!— % &
जाने की जो भी वजह रही होगी,किसी के लिए तो सज़ा रही होगी . . .!!!— % & -
जाने की जो भी वजह रही होगी,किसी के लिए तो सज़ा रही होगी . . .!!!— % &
इक ज़माने में हमारे दरमियां मुरसलात कई हुए,इक ज़माने बाद हम दोनों फिर अजनबी हुए . . .!!!*मुरसलात - exchange of letters— % & -
इक ज़माने में हमारे दरमियां मुरसलात कई हुए,इक ज़माने बाद हम दोनों फिर अजनबी हुए . . .!!!*मुरसलात - exchange of letters— % &