उसके साथ उमर भर के ख्वाब सीए बैठा हूं
एक जख्म है सीने में, बचपन से लिए बैठा हूं-
दफनाकर तेरी यादों को अब घर को चले हैं जो तेरे इश्क की तलाश में बेघर हुए थे
हम .......-
हमारा उस से सवाल था दोस्ती बड़ी चीज है या मोहब्बत
उसने जवाब दिया दोस्ती क्युकी इसमें इजहार करने की जरुरत नही पड़ती
फिर... क्या था
जनाब दिल की बात दिल में ही रहा गई-
मंदिर मज्जित जाने पे जाति पूछी जाती है
और वो रात बिना सवाल के बीत जाती है
जो शराब के नशे में बदनाम गलियों में बिताई जाति है-
क्या हुआ जो,
वो गुल नहीं गुलिस्ता में फूल हजार हैं
तू न-चाहे तो न-चाह,
हम को चाहने वाले तमाम हैं-
*:मेरे ख्वाबों की छलांग का अंदाजा न लगा ए:* *:गालिब:*
";हमने तो एक नींद में पूरी जिंदगी जी लि है;"
";उन के साथ;"-
मिलने को तो मिलगाय है जहान तमाम
पर तेरे आगोश सा सुकून किसी और की बाहों में नही मिलता-
तुमसे रोज बात होती है रोज तुमसे मुलाकात होती है।
ख्वाबों में ही सही पर तबीयत बहुत खुश मिजाज़ होती है।।-
मुझे पसंद है उसका मेरे ओरे में रहना,यह और बात है उसकी पसंद कोई और है
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"जिन्दगी तू क्यों खफा हो गई"
"तेरी साजिशो में जैसे सारी खुशियां तबहा हो गई"
"माफ कर दे हमको थक चुके है हम"
"तेरे सितमो की तो इंतहा हो गई"-