Vishal Jha   (Hardkaur_02)
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Joined 14 June 2020


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Joined 14 June 2020
21 JUL 2021 AT 22:50

लोग कहते हैं तुम मेरी हाथो की लकीर में ही भी हो तो तकदीर में कैसे मिलती !!
अरे! तुम तो मेरी लकीरों में आना भी नहीं लिखा था तो जाना खा से मान लूं !

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21 JUL 2021 AT 22:45

तुम्हे खुद से दूर जाता महसूस कर रहा हूं अब !!
तुम्हे हार गया समझूं ! या मेरी बदनसीबी !

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6 MAY 2021 AT 20:32

पाव जर्जर ही सही मंजिल आती तो है
नाव जर्जर ही सही लहरों से टकराती तो है
एक चिंगारी कही से ढूंढ लाओ
इस दिए में तेल से सनी बाती तो हैं !

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17 JAN 2021 AT 10:43

हां ! मुझे कहा फड़क पड़ता बात करने ना करने से ,
तुम्हे पड़ता है इसलिए ही तो बाते कर लेता हूं !

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12 DEC 2020 AT 17:59

कौन सा ग़म था जो ताज़ा न था
इतना ग़म मिलेगा अंदाज़ा न था !
आपकी झील सी आंखों का क्या क़ुसूर
डूबने वाले को ही गहराई का अंदाजा न था !

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7 NOV 2020 AT 23:00

हम जिनके लिए जग से लड़ते है ,
हम उनकी भी निगाहों में गड़ते है ।

- वाह रे किस्मत...

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6 NOV 2020 AT 0:02

बस इतनी सी बात पर हमारा परिचय तमाम होता है,
हम उस रास्ते नही जाते जो रास्ता आम होता है…........!!!

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24 AUG 2020 AT 22:53

वो हमसे अब दूर होने की शर्त रख रहे हैं..
हमने कहा ," क्यू नही !
अगर आपने ईमानदारी दिखाईं ?
तो हम भी निभा लेंगे .....

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20 AUG 2020 AT 23:12

हमारा तुम्हारा साथ भी उस रेल की पटरी सी है
साथ साथ तो चल रहे है पर मिलना मुकद्दर में कहा ...!

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18 AUG 2020 AT 20:29

बड़ी सुलझी सी थी मेरी ज़िन्दगी
एक तुमने आकर जलेबी सा कर दिया ।।

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