सुना है रूठने में,
बड़े माहिर है आप,
जनाब!
पर आपने ये नहीं सुना,
हम भी मनाने में कम नहीं है!
जनाब!!-
जैसे तकदीर चाहे तू चले,
तकदीर ऐसे चले तेरी,
जैसे तू चाहे चले!!!
MOM DAD DREAM'S... read more
अरे जनाब!
क्या कहते हो हमें इश्क़ करना नहीं आता,
सच कह रहे हो तुम,
हाँ हाँ हमें जिस्मों से इश्क़ करना नहीं आता,
हम तो रूह से इश्क़ करते है,
जो तुम्हें नहीं आता !!-
अरे जनाब!!
हम तो इश्क़ के सोधागर है,
ये तुम्हारी बातें हमारी समझ में नहीं,
इश्क़ नहीं करना तो मत करो,
हमारे पास भी ,
तुमसे झूठा इश्क़ करने का वक्त नहीं!!-
आज़ाद होकर भी,
आज़ाद ना हो पाए हम,
मझहबों के चक्र में,
फिर बन्दकर रह गए हैं,
अपनो के ही खून के ,
हम दुशमन हुए फिरते है ,
और कैसे हम कह दे कि,
आज हम आज़ाद हो चुके है !!-
अरे जनाब,
हम नहीं रुठे किसी से,
पर क्या करे,
किरदार ही ऐसा दिया ख़ुदा ने,
की सब रुठे है मुझसे !!!
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अगर ज़रूरत पड़ जाए उनको मेरी,
तो अपना हूं मैं,
पर पड़ जाए ज़रूरत मुझे उनकी कभी,
तो ‘बेगानो’ से भी ‘बेगाना’ हूं मैं!!-
जो भी मुझसे कहते थे ना,
तुमसे ना हो पाए गा,
तुमसे ना हो पाए गा,
एक दिन वही सलाम ठोकेंगे,
और मुझसे सलाह मांगेंगे!!-
अरे जनाब,
हम तो अपने दिल से हारे,
गैरों में कहां दम था,
चोट भी वहां लगी मुझको,
जहां पर दवा का भी,
कोई काम ना था !!!-
अगर मंजिले ए आसान होती,
तो जिंदगी की क्या औकात होती,
मात्र देखने से सपने पूरे होते,
तो धरती और आसमान क्यों इतने दूर होते??
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