बदलती हो किताबें , पहले पूरी पढ़ा तो करो , पहले पन्ने के बाद कभी आगे बढ़ा तो करो , यूँ ही शुरू कर देती हो एक नयी कहानी हर रोज़ , कभी किसी कहानी पर रुका तो करो!
यूँ तो चेहरे पढ़ना हमें अभी तक आया नहीं , दिल में किसके क्या हैं कोई समझ पाया नहीं , दिमाग से खेलते हैं लोग यहाँ रिश्तों में , बेवजह यूँहीं किसी के दिल में कोई समाया नहीं !
कहता नहीं तुमको फिर भी समझ जाती हो , दोस्त तो कभी मेरी माँ बन जाती हो , कभी कभी मुझको तुम इतना सताती हो , और खुद गलती कर मुझसे ही रूठ जाती हो , तुम हर दम हर वक़्त मेरा जो यूँ साथ निभाती हो , यूँहीं थोड़े ना तुम मेरे दिल में बस जाती हो !
पा लूँ तुम को मैं , जैसे रुक्मणी की तरह , वार दू ये दिल तुम पर , जैसे राधा की तरह , तुम चाहने की इज़ाज़त दो तो सही, आजीवन प्रेमिका बन जाऊ तुम्हारी , मीरा की तरह!
हर पल प्यार जताए , खुद से पहले मुझे खिलाये , अपनी तकलीफ मुझसे छुपाए , ख़ुशी मेरी और आँखें उनकी छलक जाए , चोट मुझे लगे , दर्द वो सह न पायें, अपनी सारी ख़ुशियाँ मुझ पर लुटाए, अगर माँ हो साथ तो ज़िन्दगी सवार जाए , उसके बिना जन्नत भी जहन्नुम नज़र आये!