You are what your deep, driving desire is.
As your desire is, so is your will.
As your will is, so is your deed.
As your deed is, so is your destiny.
—The Upanishads-
देश जले मै कुछ न बोलू मैं ऐसा गद्दार नहीं।
|Po... read more
जब जन्मभूमि के माटी से
कुछ बुत बनवाए जाएँगे
इक राम लल्ला होंगे उनमें
मसनद पे बिठाए जाएँगे
बाबर के ताज उछाले जाएँगे
ज़ुल्म के तख़्त गिराए जाएँगे
बस नाम रहेगा राम-सिया का
जो ग़ायब भी है हाज़िर भी
जो मंज़र भी है नाज़िर भी
उठेगा 'अहम् ब्रह्मास्मि' का नारा
जो मैं भी हूँ और तुम भी हो।।-
गया बिक चंद सिक्कों में तो वो इमान थोड़ी है,
सभी का है मगर तेरा भी हिन्दूस्थान थोड़ी है।
जो फैलाता यहां दहशत किसी की सरपरस्ती में,
वो है गद्दार हां गद्दार, वो नादान थोड़ी है।
जवानों पर चलाता है वो गोली और पत्थर भी,
वो है जिहादी हां जिहादी वो नादान थोड़ी है।
बेशक सभी का खून है शामिल यहाँ की मिट्टी में,
मगर अफजल, याकूब की कोई शान थोड़ी हैं।
बन्द करो मेरे भारत में यू दहशतगर्दी करना तुम,
ये हिंद ये भारत आर्यों की भूमि है ये अरब और यवन सा नापाक थोड़ी है।-
मेरी कविता नहीं उनके लिये जो देश द्रोही है।
वतन से प्यार है, जिनको उन्हे कविता सुनाता हूं।।-
मेरा किसी भाषा विशेष से विरोध नहीं, चाहे दुनिया की हर भाषा सीख जाइये।
इतना निवेदन है निज ह्रदयासन पे, माँ को छोड़ के न किसी गैर को बिठाइये।।
अंग्रेजी इतनी ही प्यारी प्यारी लगती हैं, फिर क्यों भगाया अंग्रेजों का बताइये।
भाषा की गुलामी राष्ट्र को गुलाम करती हैं, हिन्द को बचाना हैं तो हिन्दी को बचाइये।।-
आस्तीन में खंज़र रखकर कलियों से गुलफाम मिले,
हमको देखो कैसे भाई चारे के परिणाम मिले,
आओ थोड़ा शोर मचा लें,हम अपनी लाचारी पे
चार दिवस हो हल्ला कर लें, उस ज़ाहिद व्यभिचारी पर
लेकिन हम कब समझेंगे, मज़हब के कुटिल इरादों को
तहज़ीबें जो सीखा गयी हैं दहशत कत्ल फसादों को
पूछ रहा हूँ, कहाँ मर गए कठुआ पर रोने वाले
शर्मिंदा होने की तख्ती छाती पर ढोने वाले
बॉलीवुड के बेशर्मो की टोली आखिर कहां गयी,
और दोगलों की वो सूरत भोली आखिर कहां गयी,
कोई नही मिलेगा, सबने पट्टी आंख लपेटी है
क्योंकि अभागिन ट्विंकल देखो इक हिन्दू की बेटी है
सोच रहा था योगी जैसा हिन्दू शेर दहाड़ेगा,
मोदी अपना जेहादी गुर्गों के जबड़े फाडेगा,
लेकिन ये भी जब्त हो गए वोट बैंक के बक्से में,
पाकिस्तान नज़र आता है अब भारत के नक्से में,
ईद सवेरे देखो बस में तोड़ फोड़ की जाती है,
सड़कों पर होती नमाज़ फिर जाम रोड हो जाती है
सोच था छुटकारा होगा अब जेहादी रोगी से
सन्नाटे की आस नही थी हमको मोदी योगी से
ये कौमी भेड़िये बुझेगी इन सबकी ना प्यास कभी
जीत नही पाओगे मोदी इन सबका विश्वास कभी
ट्विंकल बिटिया चीख रही है इंसाफी दरबारों में
कुछ ऐसा कर दो भय भर दो इन दुष्टों गद्दारों में।।
#TwinkleSharma
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मैं लिखते लिखते रोया हूँ
धरती अम्बर रोया है, चीख चीखकर रोया है।
भारत मां का छोटा जुगनू, आज कही फिर खोया हैं।।
नन्ही सी आशाओं मे, सब अपने दफन हुए होंगे।
छोटी छोटी आँखों के, सब सपने दफन हुए होंगे।।
बच्ची की लाश पड़ी, पत्थर से कुचली गुड़िया थी।
जख्मों पर हवस लिखा, पंजों में उलझी चुटिया थी।।
बहशी दरिंदो के हाथों से बच्चे हुए, खिलौने थे।
शब्दों में क्या बतलाऊ, कत्य कितने घिनौने थे।।
टविंकल के हत्यारों को अब फासीं पर लटका दो।
तन नोचने वाले का तन गिद्धों में अब बटवा दो।।
पर आज मुझे एक बात बोलनी भारत के कथित विद्वानों से।
जिस्म नुमाइश करने वाले बॉलीवुड के खानों से।।
कल जो न्याय मांग रहे थे, चीखे थे दरबारों में।
हाथों में मोम लेके, जो घूमे थे बाजारों में।।
दर्शक आज क्यों बने हुये है, जो न्याय दिलाने वाले हैं।
सब के सब मौन खड़े है, सबके मूहं पर ताले है।।
70 सालों से उठी नहीं, ये बात तुम्हारी फर्जी है।
हिन्दू ही सिर्फ निशाना है, कितनी घातक खुदगर्जी हैं।
कहे कवि विशाल अब, इन पर भी वार जरुरी हैं।
हत्या के ये भी दोषी है, इनका उपचार जरुरी हैं।।
#JusticeForTwinkle
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वीरों की ये माटी याद जब हल्दी घाटी आये।
बलिदानियों का बलिदान याद आयेगा।।
राष्ट्र अस्मिता पर निज पुत्र को चढ़ा दिया था।
पन्ना धाय का लिखा विधान याद आयेगा।।
चेतक की टाप के निशान वाली छातियों पे।
शत्रुओं को देख शमशान याद आयेगा।।
विश्व जो लिखेगा इतिहास यदि त्याग का तो।
बार-बार यही हिन्दुस्थान याद आयेगा।।-
भारतीय नारी.....
कंचन खजान नहीं, कुबेर के भंडार नहीं।
था हमारे पास नहीं कुछ भी लुटाने को।।
मांग का सिंदूर था जो मातृ भू को दे दिया था।
माटी ही बचाई बस भाल में सजाने को।।
रोती नहीं इसलिए पुत्र हैं हुआ बलिदान।
कर्ज अभी बाकी है स्वदेश का चुकाने को।।
एक बेटा भारत की शान पे लुटा दिया है।
काश एक ओर होता देश पे लुटाने को।।-
मेरी कविता,
प्रेम का प्रसंग भी नहीं है।
वैभव अनुराग वाला रंग भी नहीं है।।
मेरी कविता,
जलते भारत का छोटा सा बयान हैं।
माँ भारती की पीड़ा का व्याख्यान हैं।।-