Vishal BANGA  
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Joined 12 February 2019


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Joined 12 February 2019
31 DEC 2022 AT 22:47

अलविदा २०२२ ❤🤗🥰😘
फिर मिलेगे २०२३ में
नई उमंग , नई आशा ,
नए सपनों के साथ!
मंगलमय शुभकामनाएं 🥰

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5 FEB 2022 AT 20:28

तुम याद नहीं करते तो
हम गिला क्यों करें
खामोशी भी तो एक अदा है
मोहब्बत निभाने की
कभी ना कभी वो मेरे बारे में सोचेगी जरूर
की हासिल होने की उम्मीद नहीं थी
फिर भी वफ़ा करता था 🥰

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9 JAN 2022 AT 8:23

कभी इन्ही हाथों ने मुझे चलना सिखाया था
और आज यहीं हाथ बेजान है 🥺

उंगली पकड़कर मैंने आपकी चलना सीखा
कैसे भी हो हालात मैंने लड़ना सीखा
जब जब पापा ने डांटा मुझे
मैंने आपके पास आकर उनकी डांट से छुपना सीखा

आज न जाने क्यूँ आपके
बिना रहना मुश्किल हो रहा है
एक बार तो गले लगा लो
एक बार तो अपनी आवाज सुना दो
एक बार तो कैसे हो विशु पूछ लो
एक बार फिर से समझा दो
इस मतलबी, बेदर्द, बेरहम, बेगैरत
दुनिया में कैसे जीते हैं एक बार फिर सिखा दो
उंगली पकड़कर जिनकी मैंने चलना सिखा
अर्थी को कंधा कैसे देते हैं यह तो सिखा दो
एक बार फिर मुझे पापा जी की डांट से बचा लो

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3 DEC 2021 AT 23:57

हँसते हुए माँ-बाप की गाली नहीं खाते
बच्चे हैं तो क्यूँ शौक से मिट्टी नहीं खाते

तुम से नहीं मिलने का इरादा तो है लेकिन
तुम से न मिलेंगे ये कसम भी नहीं खाते

सो जाते हैं फुटपाथ पे अखबार बिछाकर
मजदूर कभी नींद की गोली नहीं खाते

बच्चे भी गरीबी को समझने लगे शायद
अब जाग भी जाते हैं तो सहरी नहीं खाते

दावत तो बड़ी चीज़ है हम जैसे कलंदर
हर एक के पैसों की दवा भी नहीं खाते

अल्लाह गरीबों का मददगार है 'बंगा'
हम लोगों के बच्चे कभी सर्दी नहीं खाते

(सहरी- रमज़ान में भोर के समय का नाश्ता)

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19 NOV 2021 AT 7:45

कुछ भी नहीं है ,
मगर है सब कुछ भी ,
कुछ भी नहीं है ,
मगर है सब कुछ भी ,
क्या अजब चीज़ है ये कागज़ भी ,
बारिशों में है नाव कागज़ की ,
सर्दियों में अलाव कागज़ की ,
आसमाँ में पतंग कागज़ की ,
सारी दुनिया में जंग कागज़ की....

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19 NOV 2021 AT 7:42

ਬਦਲ ਗਿਆ ਤੂੰ ਸੱਜਣਾਂ
ਰੁੱਤਾਂ ਦੀ ਤਰ੍ਹਾਂ
ਤੇ ਅਸੀਂ ਖੜ੍ਹੇ ਰਹ ਗਏ
ਰੁੱਖਾਂ ਦੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ,
ਕਿਨ੍ਹਾਂ ਪਿਆਰ ਕਰਦੇ ਹਾਂ ਤੈਨੂੰ
ਤੂੰ ਨਾ ਸਮਝ ਸਕਾ
ਤੇ ਅਸੀਂ ਢਾਹ-ਢੇਰੀ ਹੋ ਗਏ
ਖੰਡਰਾਂ ਦੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ।

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31 OCT 2021 AT 17:21

कुछ ख्वाब टूटे
कुछ उम्मीदें टूटी
और देखते ही देखते टूट गए हम भी

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28 OCT 2021 AT 7:16

हम आपसे कितना प्यार करते हैं
यह हमें जताना नहीं आता ,
कोई हमसे किताबों का पूछ ले
पर यह इश्क़ हमें निभाना नहीं आता ,
समझ नहीं आता कैसे मनाऊँ आपको
खुद रोये या हँसाये आपको ।

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16 OCT 2021 AT 6:39

दिल की आवाज़ में आवाज़ मिलाते रहिए
जागते रहिए ज़माने को जगाते रहिए

दौलत-ए-इश्क़ नहीं बाँध के रखने के लिए
इस ख़जाने को जहाँ तक हो लुटाते रहिए

ज़िन्दगी भी किसी महबूब से कुछ कम तो नहीं
प्यार है उससे तो फिर नाज़ उठाते रहिए

ज़िन्दगी दर्द की तस्वीर न बनने पाए
बोलते रहिए ज़रा हँसते हँसाते रहते रहिए

फूल बिखराता हुआ मैं तो चला जाऊँगा
आप काँटे मेरी राहों में बिछाते रहिए

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15 OCT 2021 AT 23:39

निरंतर है अयोध्या में खोज "राम" की जारी
लेकिन आ गई है फिर से पुतला फूंकने की बारी ,

आज सारा देश "रावण" का दहन करेगा
पर हम इंसानों का मन इतने से कहाँ भरेगा ,

होगी कुर्बान कल ही कोई "निर्भया" फिर से
और सत्य की विजय को , फिर एक पुतला जलेगा ।

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