Vishal Bahekar   (कालारावण | VishalBahekar)
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Joined 18 July 2018


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13 JUL 2022 AT 11:22

मैं झूठा हु..
लोगों को झूठी कहानी सुनाता हूँ
मैं पागल हु..
लोगों को पागल बनाता हूँ..

मैं अक्सर ख़ुद से शिकायतें करता हु,
मैं ही क्यों ये सवाल बार-बार दोहराता हु..
कोई टूट कर भी किसी अपने से बात करे
क्या करे मैं हर बार आजमाया जाता हूं..

मैं झूठा हु..
लोगों को झूठी कहानी सुनाता हूँ..
मैं पागल हु..
लोगों को पागल बनाता हूँ..

मैं इश्क़ भी करूँ तो कैसे करूँ
मैं हर वक़्त पैरो तले रौंद दिया जाता हूं..
कभी हँसते हँसते आँसू पी जाता हूं
तो कभी रोते रोते मुस्कुरा देता हूं..

मैं झूठा हु..
लोगों को झूठी कहानी सुनाता हूँ..
मैं पागल हु..
लोगों को पागल बनाता हूँ..

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13 JUL 2022 AT 11:17

याद तेरी, मेरी कहानी बन गयी
कुछ बातें हमारी अधूरी रह गयी..

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8 JUN 2022 AT 1:24

धूसर होत चालल्या आठवणी
अश्रूंनाही पाझर फुटले..

अंतर मनांचे वाढल्या क्षणी
नात्यांचेही बांध फुटले..!!

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8 JUN 2022 AT 1:13

सुन्न झाले जरी डोके
अंतरी शब्दांचे थवे..
नको असे तिथे
मौनांचा गाभारा दिसे..!!

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8 JUN 2022 AT 1:05

ये मेरी ढ़लती हुई ज़िन्दगी मुझे तौफा दे दे,
गर है ख़ुदा तेरा वजूद तो मुझे मौत दे दे..!!

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8 JUN 2022 AT 1:00

टूट जाऊंगा मैं गर
जब तुम दूर हो..
आँख से निकले आंसू गर
जब तू उदास हो ..!

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26 MAR 2022 AT 14:05

अपुऱ्या कहाणीला जोड हवी नशिबाची,
तुटणाऱ्या मनाला साथ हवी आपुलकीची..

शेवटी अपूर्ण भेट ती अशीही असावी,
स्मरणात नेहमीच गुंतून रहावी..!!

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28 FEB 2022 AT 23:23

संसाराच्या वाटेवर उभं आयुष्य माझं,
अवघे जीवन माझे व्यर्थ वाटू लागले..

समजूत काढू तरी कशी स्वतःची,
मज आपलेच परके करु लागले..!!

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25 FEB 2022 AT 9:01

नशीबांचे थवे उडू लागले,
कावळे सुद्धा गाऊ लागले..

सोंगड्यांना घेऊनी कवेत,
नशीबांचे भोग दिसू लागले..!!

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16 JAN 2022 AT 21:45

जिथं जावं लागत नाय
तिथं मन जात असतं..

कधी "हो" कधी "नाय"
प्रेम हे असचं असतं..!!

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