नही है हार मतलब हारने का
तुने ही बताया
मर चुके मेरे जज्बे को
तुने ही जगाया
क्या लिखू मैं किस्से तेरे
मेरे कागज और कलम से
तेरे प्यार की स्याही से
तुने मेरा किरदार है सजाया-
और सवरने के लिये बिखरना भी जरूरी है !!!!
First cry on 14 Au... read more
लाखों की भीड में
मैं भरोसा उसपे करता था
जो ना हासील था कभी
उसको खोने से मैं डरता था
मुझे फेक दिया कोने में
जैसे पुराना खिलौना
यार उसका चीखना तो छोडो
मैं उसकी खमोशी भी सुनता था-
बढाने मेरे हौसले को,
गैरों ने बजाई ताली थी
मोहब्बत मेरे अपनों की,
देखी मैने जाली थी
कोसता हूँ खुदकों,
क्यूं माना उसको अपना
उसके दिल में भी था दिमाग,
बस शकल भोली-भाली थी-
सोने जाता, सो ना पता,
खाती राते काली थी,
देखके खुदको आइने में,
मेरे मुंह मे आती गाली थी,
Never ever care for anyone,
Mind It
मैं हूँ सब का, सब है मेरे,
यह गलतफहमी पाली थी-
मैं खाक से बना हूँ,
खाक मे हि मिल जाना है
घमंड किस बात का,
सबका कब्र हि ठिकाना है
जो पसंद है उसे नही पाया तो है क्या मजा
आज हो या कल,
एक दिन सब को हि मर जाना है-
ये बात उस दिन की, जब जेब मेरी खाली थी,
बेरंग सी थी होली, बिना जश्न की दिवाली थी
ऐसे कैसे गिरने देता, दिवार मेरे सपनों की,
मेरे हौसलों की नींव मेरे बाप ने संभाली थी-
ये बात उस दिन की, जब जेब मेरी खाली थी,
बेरंग सी थी होली, बिना जश्न की दिवाली थी
ऐसे कैसे गिरने देता, दिवार मेरे सपनों की,
मेरे हौसलों की नींव मेरे बाप ने संभाली थी-
एक उम्र खर्च कर दी जमाने पर,
एक पल ना बिता पाए खुद के साथ
औरों से उम्मीद भी नही मुझे समेटने की,
मुझे बिखराने में था मेरा ही हाथ
अब उठ चुके है नींद से
एक कर देंगे दिन और रात
बुझा सके जो आग मेरे सीने की
क्या समंदरों की औकात-
लिए कलम को हाथ में, लिखना खुदका मुकद्दर है
तुम जानते ना मुझे बुंदभर भी, समंदर मेरे अंदर है
तुम गुरुर में हो खोखले, ना औकात तुम्हारी रत्तीभर
चीख तुम्हारी फिकी लगे, मेरी खामोशी भी भवंडर है-
जितने छन्नि में नही, उतने छेद मेरी नसीब की झोली में
छिनके रहुंगा हक अपना, खेलुंगा खुशियों की होली मैं
रोया मैं हर बात पे, पर बार बार ना एक बात पे
दिल मे बसे "महाकाल", "जय श्री राम" मेरी बोली में-