Vishakha Tripathi   (Vishakha Tripathi)
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Joined 4 September 2019


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Joined 4 September 2019
5 MAR AT 11:24

बहुत कुछ टूट जाता है,
सबकुछ छूटने के पहले,
मन ख़ुद से रूठ जाता है,
सबसे रूठने से पहले...

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4 MAR AT 21:39

कुछ इस तरह ज़िंदगी हम गुजारते रहे,
कांटो में रहे हरदम, मगर मुस्कुराते रहे,

इश्क़ में पहली आवाज़ मुझे, उसने ही दी थी,
मगर उसके बाद उम्र भर, हम उसको बुलाते रहे,

महज़ नफ़रत, दर्द, दरारों के बीच रहा है ये सफ़र,
जिसे इश्क़ कहकर हम खुद को, समझाते रहे,

कुछ इस कदर कटा है, एक लम्बा तन्हा वक़्त मेरा,
मरहम भी ख़ुद ही लगा के, हर दर्द हम दबाते रहे...!!

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4 MAR AT 21:15

किसी से दिल लगाना ठीक नहीं...
महबूब से आसक्त हो जाना ठीक नहीं,
ख़ुद का वजूद मिटने लगता है रफ़्ता-रफ़्ता,
किसी में इस कदर खो जाना ठीक नहीं।
मोहब्बत गुलाम कर देती है निगाहों को,
खुद भी नजर में रहना, खुद को भूलना ठीक नहीं,
रहना मसरूफ़ तुम भी, ख़ुद की हिफाज़त करना,
दिल्लगी में सम्भल के रहना, मिट जाना ठीक नहीं।।

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31 JUL 2023 AT 21:15

स्त्रियों के सम्मान में हमेशा ही भगवान को आना पड़ता है,
तुक्ष्य मनुष्य तो बस स्त्रियों के पीड़ा का कारण बनते है।

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8 MAY 2023 AT 17:16

हर प्रेमिका, आर्दश बेटी नहीं बन पाती,
जैसे कि हर बेटी, आदर्श प्रेमिका नहीं बन पाती।

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1 DEC 2022 AT 20:37

आज बैठकर तन्हा, ये सोचते रहे है हम,
क्या पा रहे है आज, क्या खो चुके है हम,
मोहब्बत हासिल है हमें, पूरा परिवार हासिल है,
इस मोहब्बत के सिवा, और क्या ढूंढे जा रहे है हम?
मन विचलित भी क्यों है, इसकी खबर नहीं मुझे,
खुद से नाराज़गी क्यों है, ये पता लगा रहे है हम,
अपनी मंजिल से वाकिफ़ है, राहें सब याद है मुझे,
मगर ना जाने कैसे हर रोज़, रास्ते भटक जा रहे है हम,
इन सारे सवालों में अब उलझते जा रहे है हम,
क्या पता कहां भटके है, ना खुद को वापस पा रहे है हम,
क्या ज़िंदगी इतनी ही थी? बस जिए जा रहे है हम।
क्या खो चुके है अब और क्या पा रहे है हम?

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5 NOV 2022 AT 22:18

उसे उस ख़त में बातों का इंतज़ार रहा,
जिस ख़त में हमनें उसे खामोशी लिख कर भेजी थी।

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5 NOV 2022 AT 22:15

और उन ख़्वाबों को हकीकत
बनाने के लिए न जाने कितने सफ़र किए,
मुश्किलों से लड़ा, और फिर जाना कि,
असल में ख़्वाब बंद आंखे देखती है,
और हकीकत तो हर रोज़ संग सफ़र करती है।

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16 SEP 2022 AT 10:11

और फिर ऐसा होता है,
की लाख चलने की कोशिशों के बाद भी,
हम गिरते है हर बार, तबतक गिरते है,
जबतक की हम असलियत को अपनाना नहीं सीख लेते,
और जब हम सीख जाते है हार को स्वीकारना,
और उस हार के साथ, फिर से
जीतने की कोशिशों में लग जाते है,
तब जा के हमें जीत हासिल होती है,
ज़िंदगी तुम्हें मजबूत बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ती,
वो तुम्हें चलना, गिरना, गिर के सम्भलना, सबका मौका देती है,
तुम्हें इतना मजबूती देती है की तुम जब गिरो,
तो तुम्हारा हौसला ना टूटे, बल्कि
और मजबूती के साथ खड़े हो सको।

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6 JUL 2022 AT 23:02

मेरे प्रियतम,
एक झलक तुम्हारे तस्सवुर की...

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