तूफ़ान से डरा ना कर...
जग-जग कर तारें गिना ना कर...
खो-खो कर चुप होया ना कर...
गम़-गम़ से उदास होया ना कर...
सुन-सुन कर खुद से अलग होया ना कर,
उसे याद कर-कर के बस, रोया ना कर...
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कोई नाम से मशहूर हैं़़़़़
कोई काम से मशहूर हैं़़़़
नाम और काम दोनो से मशहूर हैं
कमबख़्त'
हम तो ,,
उसके गम़ में मसरूफ़ हैं....
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जो दिल में है, वो नसीब़ में नहीं ।
जो नसीब़ में है, वो किस्मत में नहीं ।।-
बेवफा से वफा कर बैठे ....
उस पराये से उम्मीद कर बैठे....
बेकदर से आंसू लिए बैठे ...
ऐ-खुदा तेरी रजा़ क्या है?
हम खुद को मिटा कर बैठे...
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साथ रहकर भी, साथ नहीं था।
ठहर कर पल गिनाए थे,उसने
पर उस पल में नहीं था।
तुम्हें पा के भी देख लिया'
तुम्हें खोकर भी देख लिया'
आंसू सूखते रह गए,,,,
तुम्हें रास ना आया इश्क़ मेरा'
इश्क़ में तेरा होकर भी देख लिया_
जख़्म देकर तुम्हें मलाल नहीं
समझा था,पर बदलते मौसम कि तरह
तुम्हारा मिज़ाज बदल गया_
पहला इश्क़ गुमनाम हो गया'
तुम्हें दूरी.... का एहसास नहीं'
तुम्हारें गली में जाना छोड़ दिया।
आज,कल और अपने अतीत के लिए।
खुदगर्ज़ अपने हक में फैसला कर गया।
अजनबी बना कर....तुम्हें फर्क पड़ा नहीं"
बेकदर ने इश्क़ को तबाह कर ख़त्म कर दिया।
क्यों,रिश्ता बनाकर मासूम दिल के साथ विश्वास तोड़ा-
सवाल हैं, पर मैनें गहराई में जाना छोड़ दिया।
ऐ-खुदा.........
आईना देखकर हाल मेरा;
आईना भी खामोश हो गया मेरा,,,
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Meri bate usee be-sar lagne lg gyi....
Mujhe bhul kar nayi aadat uski bn gyi....
Usee moka de_de dekar ...
Khud ko dhokha'
be-dard seh gyi....
Rista bchate- bchate....
Khud se alag ho gyi....
Samjha tha, lout kar aayega....
wo toh chod kar kbka chla gya'
Kambkhth,
Mei uske ek trfa pyr mai rh gyi.-
दुःखद नहीं, दुख क्यों हैं?
सुख नहीं तो, सुख कहाँ है?
यात्रा नही तो कहानी कहाँ है?
राह नहीं तो रास्ते कहाँ है?
मंजिल नहीं तो ख्वाब कहाँ है ?
सफर नहीं तो किनारा कहाँ है?
रात नहीं तो सुबह कहाँ है ?
जीवन नहीं तो सुकून कहाँ है?
साथ नहीं तो अपने कहाँ है?
खुदा नहीं तो, फ़रिश्ता कहाँ हैं?
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आंखो मे आंसू लिए
ना अब तेरा इंतज़ार
मै करूँगी।
दर्द इस दिल को अब
तेरे गम मे ना अब सहूंगी।
तेरे दिए हुए जख्म को
भूल ना सकूंगी।
थी,उम्मीद तुमसे
क्योंकि इश्क़ था तुमसे'
तेरे झूठ के हसरते को
अपने पन्नों मे लिखा करूंगी।
तेरी महफिल से दूर
खुद को किनारा करूंगी
बेशक, मै तुझे याद नहीं
जा तू, मैं तुझे फिर कभी नहीं मिलांगी।
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पहली दफ़ा!
उसका प्रपोज करना!
आखरी दफा़ उसका जाना!
रिश्ता बनाकर'
रिश्ता तोड़ जाना!
उसका आगे बढ़ जाना!
उनके रास्ते में मुझसे बेहतर'
लोगों का पड़ जाना!
बदलतें मौसम कि तरह बदल जाना!
ना कुछ बोला"
ना कुछ कहा"
मुझे बे-वजह चुप करा दिया!
तनहाई में खामोश करा दिया!
बेवजह बेवफा से'
मोहब्बत किया !
गलत इंसान पर'
वक्त बर्बाद किया!
बेवजह बेवफा को याद किया!
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