vishaka  
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Joined 16 September 2023


Joined 16 September 2023
1 DEC 2023 AT 23:50

तेरी जकड़ में है दीवानी तेरी
शुरू हो गई ना मनमानी तेरी

मेरी रज़ा की परवाह मत कर
मैं तो जानती हूं शैतानी तेरी

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6 NOV 2023 AT 0:05

यूं दूर रहकर मेरी रात को बर्बाद मत करो
चांद तारे तोड़ने वाली फालतू बात मत करो

मेरे प्यासे बदन पर काम का तजुर्बा दिखाओ
अब नौसिखिए की तरह शुरूआत मत करो

रफ्तार बढ़ाते रहो खेल के नियम भूल जाओ
मेरी आंखों में देखते रहो, कुछ याद मत करो

नीचे जाओ और सूखी ज़मीं को भीग जाने दो
लबों से भी छुओ झटको की बरसात मत करो

मसलो मुझे जैसे पत्थर के रगड़ने से चिंगारी
अपनी काम इच्छा को बहने दो बर्दास्त मत करो

आज इतवार है और इसका इंतज़ार ही तो था
कि जो करना है करो मुझसे दरखास्त मत करो

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28 OCT 2023 AT 2:22

........रिक्त हूं
आज भी
कोई बहाव नहीं
तुम्हारे बगैर
केवल रास्ता है
अनंत सा
तुम्हारे लबों की
दरकार है
ठीक बीच में
अवैध
अतृप्त
गैर ज़मानती

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26 OCT 2023 AT 0:05








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18 OCT 2023 AT 23:55








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5 OCT 2023 AT 0:09

मत चाहो मुझे
नाज़ुक पखुंडी की तरह
मैं चाहती हूं
तुम चुभो मुझे

तुम्हारे बरताव से
जहन कांप उठे
और
थरथरा जाए
हर अंग

ऐसी - ऐसी जगह
जहां मैं न छू सकी
खुद को
तुम्हारी उंगलियों की छाप
लाल निशान हो
मैं चाहती हूं
मेरी
आहह.....
आज खुल के निकले
सिमट के न रहे
जो हमेशा
सहमी रहती है
मेरी तरह!

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29 SEP 2023 AT 0:24

आज पूरी तरह से जीवित हो जाओ
मुझे बहकने दो तुम सीमित हो जाओ

तुम्हारी तड़प का तमाशा देखती रहूं
मेरे प्रेम के रोग से पीड़ित हो जाओ

ये बेड़ियां नहीं मेरे इंतजार की डोरी है
ऐसे समाओ कि मुझमें नीहित हो जाओ

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28 SEP 2023 AT 0:55

कुछ है
जो
वास्तविकता से परे है
.
.
.
शायद
.
.
ख्याल तुम्हारा

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27 SEP 2023 AT 1:49

तुम ज़ालिम हो
मेरी कल्पना से अधिक
हर पल
तड़पाने को तैयार

बेकरार

मेरी सिसकियो को
अनसुना करते हुए
मेरी आंखों में देखते हुए
जब करती हो
अपनी उंगलियो से वार
बार- बार
लागातार

अब मुझे भी है
दरकार

थोड़ा नीचे जाओ
और छू लो लबों से
मैं हूं बेकरार
और अहम बात ये
कि सिर्फ तुम पर है
ऐतबार

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26 SEP 2023 AT 0:50

मेरी हर नज़्म पर जो वाह कह देती है
मेरी हरकतों पर भी 'आह' कह देती है

वो सिमट जब जाती है जांघों के बीच
पंखुड़ी के समीकरण को तबाह कर देती है

यूं तो बेचैन रहती है शब- ओ- रोज़
जब मिलती है लबों से सुलह कर देती है

यकीनन उसे मोहब्बत है मेरे लबों से
मेरे चूमते ही धारा प्रवाह कर देती है

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