"स्पंदित हो तुम्हारे हॄदय में प्रेम हमारा,
जो तुम इसे अपनी धड़कन बना लो ।
कि- मैं फिरूँ बन बाँवरा प्रेम-गलिन में...
जो ख़ुद को तुम मुझमें रमा लो ।।
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मैं बन जाऊँ तुम्हारा श्याम सलोना...
गर तुम राधिका रूप में आ जाओ प्रिये,
कि- हो जाये सुरमयी प्रेम-तान मेरी,
जो मुझे तुम चूड़ियों की छनछन में बसा लो ।।
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होंगी प्रेम-ऋचाएँ अवतरित स्वयं ही,
मैं उन्हें मुस्कुरा कर प्रेम-ग्रंथों में गढ़ दूँगा,
कि- महक उठे हर इक शब्द मेरा,
जो तुम हो मलंगित उन्हें प्रेम से गुनगुना लो ।।
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कुछ ऐसी हैं प्रेम कामनाएँ मेरी साथिया...
अब क्या ही बखान प्रेम का करे "शाश्वत"
गर हो स्वीकार तुम्हें प्रेम मेरा...
तो अपने रोम-रोम में तुम मुझे समा लो ।।"
✍️- Vishaal "Shashwat..."
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