तुम चले आओ घर, तुम चले आओ घर -2
कुछ दिनों से बहुत मुझको लगता है डर
मोतियों की तरह है, बसाया तुम्हें
आह तो खूब उठती है दिल से मेरे
बस इसी डर से रोता नहीं हूं कभी
गिर न जाओ कहीं तुम नयन से मेरे
देखता हूं में बाहर कड़ी धूप में
एक अंधेरा मुझे आ रहा है नजर
तुम चले आओ घर, तुम चले आओ घर
कुछ कभी भी न तुमसे छुपाता हूं मैं
तुमको तस्वीर सच्ची दिखाता हूं मैं
प्रेम के गीत को मन से गाता हूं मैं
सारे अहसास तुमको बजाता हूं मैं
बांसुरी को पिया जब बजाता हूं मैं
बांसुरी से निकलता है बस एक स्वर
तुम चले आओ घर, तुम .... ......
त्याग ही प्रेम है, प्रेम ही त्याग है -2
मेरे मन में विरह की बड़ी आग है
गीत मेरे अलग हैं, अलग राग है
लोग कहते हैं कि चांद में दाग है
सच तो ये है कि वो दाग है ही नहीं
मैंने ही जा कर लिख्खा है ये चांद पर
तुम चले आओ घर, तुम चले आओ घर
कुछ दिनों से बहुत .....-
मौसम बड़ा हसीं है चाहो तो half ले लें
तुम भी तलाक़ ले लो, हम भी तलाक़ ले लें
हद है यार .......😂🤣😂🤣-
मानसरोबर तट पर मैनें मंदिर एक सजाया है
आकर देखो मंदिर का तुमको भगवान बनाया है-
वेदनायें बिकी मन की बेदाम हैं
जो न बदले कभी बस ये दो नाम हैं
जानकी वन में रहकर रहीं जानकी
राम महलों में रहकर रहे राम हैं-
बीते कल में जीता हूँ सो बिंदास हूँ
मैं यादों की बस्ती का मुसाफिर हूँ-
मोहब्बत का मुसाफिर हूँ, जवां धड़कन मेरा घर है
कोई आ बैठा आँखों में तो ये अहसान हम पर है
जमाने की अदाओं में बहुत कुछ भूल बैठा पर
नदी को खुद में भर लेना, नहीं भूला समंदर है-
प्यार-मोहब्बत, यारी-ब्यारी फर्जी है
सच पूंछो तो दुनियादारी फर्जी है
आंखों को क्यों गीला करते रहते हो
दिल वाली हर एक बीमारी फर्जी है-
किसी के प्यार के अहसास में तन-मन नहीं बदला
हमारे प्यार का बदनाम अल्हड़-पन नहीं बदला
मिली थी कल ही मेले में, भरे हाथों-रंगे पैरों
मगर मैंने दिया था उसने वो कंगन नहीं बदला-