Virendra Singh Pawar   (Virendra Singh Pawar)
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Joined 26 September 2017


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Joined 26 September 2017
27 MAR 2023 AT 10:28

अपनी हैसियत, उम्मीद,
हद, और ज़द से परे देखता है,
छोटे शहर का एक लड़का,
ख़ाब बहुत बड़े देखता है।।

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3 AUG 2022 AT 11:03

अपने प्रेम की पराकष्ठा में,
मैं चूम लूंगा तुम्हारी पेशानी,
और तुम,
तुम बस छुपा लेना खुद को,
कहीं मेरे सीने के अंदर।

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7 FEB 2022 AT 19:16

अपने प्रेम की अभिव्यक्ति में,
मैं नहीं देना चाहता हूं तुम्हें कोई गुलाब
वरन मैं देना चाहता हूँ तुम्हें पलाश के फूल
क्योंकि पलाश पर अक्सर
फूल पतझर के बाद खिल कर
उसका सौंदर्य और हौसला दोनों बढ़ाते है,
ठीक वैसे ही जैसे तुम,
मेरे जीवन पतझर में आकर
इसका सौंदर्य और मेरा हौसला दोनों बढाओगी।

मुंतजिर,
तुम्हारा एकांकी।।

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15 JAN 2022 AT 19:57

न उम्मीद कुछ,
न रहा जरिया कोई,
न नज़र पहले सी,
न रहा नजरिया कोई,
कोई ख़ाब नहीं,
न ही अब ख्याल कोई,
न उलझन कोई,
न ही मन मे सवाल कोई
शून्य से सदा भरे रहते,
अब मेरे मन के भाव,
अब तो दर्द भी देते नहीं,
मन के वो पुराने घाव,
कातिक, अगहन, फागन,
सब, सब, सुने सुने से बीते,
उसपर पल पल अविरल,
सावन से नैना रीते,
मन माने ना, मेरा कि पतझर नहीं,
ये मास तो मधुमास है,
एक तुम्हारे बिन वैसे ही सब सुना था,
दूजा,मेरी कलम भी उदास है।

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14 DEC 2021 AT 21:24

बात बेवज़ह ही नहीं, आकर है रुकी मेरे लबों पे,
है बेबसी, और एक उम्र की खामोशी मेरे लबों पे,

मैं कहता भी, तो क्या ही कह पाता तुझसे,
है ठहरी हुई बेरुखी और लिपटी उदासी मेरे लबों पे,

मत कहो, की है बातें खारी खारी मेरे लबो पे,
समझो है बिखरी आँखों से, मेरी नाउम्मीदी मेरे लबों पे,

ये क्या हुआ, कि बदल गया है मौसम अभी,
अभी अभी सजी, तेरे होंठो की नमी मेरे लबों पे।

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17 NOV 2021 AT 21:37

मेरी निगाहों को, ये मंज़र अच्छा नहीं लगता,
तेरी आँखों मे, ये समंदर अच्छा नहीं लगता,

तेरे साथ मंज़िल, राहें, सभी आसान लगती है,
बिन तेरे, हमराही, कोई सफ़र अच्छा नहीं लगता,

तुम्हारी चूड़ियों की खनक, से आबाद है दिल,
तेरी खामोशी से सजा, ये घर अच्छा नहीं लगता।।


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16 NOV 2021 AT 17:30

उसे शिकायत है, वो हर वक्त तन्हा चलता है,
साथ चलना चाहूँ, तो वो रस्ता बदल देता है।।

एक उम्र गुज़ारी उसका पता ठिकाना ढूंढते हुए,
उसकी गली से गुजरू, तो वो पता बदल देता है।।

बहुत मनाने से भी अब, मानता नहीं है वो,
मन मान जाए उसका, तो मेरी ख़ता बदल देता है।।

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26 OCT 2021 AT 10:06

जीवन प्रहरी बना अंधेरा,
चाँद पर अमावस का पहरा,
आशाओं के दीप सभी,
बुझे हुए पाओगी,
प्रिये जब तुम आओगी

सावन में है अतृप्त प्यास,
उदास रहते है मधुमास,
वसंत में भी अब कोई फूल,
खिला हुआ नहीं पाओगी
प्रिये जब तुम आओगी

पल पल इंतजार की कहानी,
आँखे, हृदय दोनों पाषाणी,
दोनों से ही अब तुम,
प्रेम रीता पाओगी
प्रिये जब तुम आओगी

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1 OCT 2021 AT 12:50

कक्षा में सबसे पीछे बैठने वाले लड़के,
होते है बड़े कमज़ोर गणित में,
सामान्य समीकरण भी
उनसे नहीं सुलझाई जाती है,
ना ही वे पढ़ पाते है प्रश्न
और उनमें छुपे हुए संकेत,
हां मगर वही लड़के, जब प्रेम करते है,
तब वे सुलझा लेते है अपनी
प्रेमिका की उलझी हुई, जुल्फें,
पढ़ लेते है उनका मन,
और समझ लेते है उनके सभी इशारे।

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17 AUG 2021 AT 13:15

आदम, ये सब क्या हो रहा है ?
मैंने सुना है बहुत बुरा हो रहा है,

ये कैसी आज़ादी हासिल की तुमने ?
हर शख्स, आंसुओ से, दाग लहू के धो रहा है

तुम्हें नींद कैसे आएगी? कैसे चैन पाओगे?
तुम्हारी सल्तनत में तो बच्चा बच्चा रो रहा है,

लोग पागल कहते उसे, वो एक शख्स जो अब,
नम आँखों में खुशहाली के सपने बो रहा है,

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