virendra panchal   (Virendra panchal)
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पंख ज्यों स्वप्न दिए
फिर बादलों से होड़ करना कब मना है 🕊
Joined 28 September 2017


पंख ज्यों स्वप्न दिए
फिर बादलों से होड़ करना कब मना है 🕊
Joined 28 September 2017
5 JAN 2024 AT 23:52

दीये सरीखा यहाँ कौन भला ?

जो सूरज के आने तक अंधेरे से लड़कर उजाले का अस्तित्व बनाये रखता है

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4 JAN 2024 AT 7:59

बढ़ता रह
गढ़ता रह
थोड़ा-थोड़ा ही सही
धैर्य रख
रख यकीं
जो चाहेगा
होगा वहीं………..✍🏻

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3 JAN 2024 AT 8:51

क्या होता है मर जाना
साँसो का रुक जाना ?
नहीं, सच पूछो तो,
अलाव जलाकर ख़्वाब का
धीरे-धीरे धूमिल हो कर
ढेर हो जाना राख का
अपने पर ही
अपने से मुखातिब न हो पाना
सच , यही होता है मार जाना

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3 JAN 2024 AT 6:46

कक्ष है ख़ाली सा
गूँजता भीतर है कोई
तोड़ कर बेकारी दीवारें
उड़ने को बेताब कोई

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2 JAN 2024 AT 8:28

खोये से शब्द
टूटी कलम,सूखी स्याह
जिन्दा फिर भी
मन की चाह
कोहरा घना
दिन अन्धेरा रात सा
ढूँढे परिन्दा फिर भी
ज़रिया कोई राह का

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1 JAN 2024 AT 7:00

ताने-बाने बुने बडे
कुछ काम कर गये
कुछ गये रह धरे-धरे
यूँ न ख़ुद को हताश करे
मन में थोड़ा धीर धरे
मनुज तनिक विश्वास करे
रौशनी भरकर आया है
नये सूरज का सत्कार करे
चलो,फिर एक से शुरुआत करे

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31 DEC 2023 AT 23:00

यह वर्ष बहुत ख़ास रहा
कुछ मुस्कुराते से छायाचित्र
तो कुछ
गुनगुनाते, थिरकते से चलचित्र
संजोकर चल दिया ✍🏻

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10 FEB 2023 AT 20:54

वो संजो रही है
मैं सहज रहा हूँ
सपने हसीं
जिनसे ज़िन्दगी महक रही है

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7 APR 2022 AT 12:37

किसी कहते है कलाकार हो जाना...?

बस,अपने ही आकार में खो जाना

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6 APR 2022 AT 21:45

I will not say anything, just am addicted to watching movies, have seen #the_kasmir_files now and will watch #the_karouli_files sometime.

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