दीये सरीखा यहाँ कौन भला ?
जो सूरज के आने तक अंधेरे से लड़कर उजाले का अस्तित्व बनाये रखता है-
फिर बादलों से होड़ करना कब मना है 🕊
बढ़ता रह
गढ़ता रह
थोड़ा-थोड़ा ही सही
धैर्य रख
रख यकीं
जो चाहेगा
होगा वहीं………..✍🏻-
क्या होता है मर जाना
साँसो का रुक जाना ?
नहीं, सच पूछो तो,
अलाव जलाकर ख़्वाब का
धीरे-धीरे धूमिल हो कर
ढेर हो जाना राख का
अपने पर ही
अपने से मुखातिब न हो पाना
सच , यही होता है मार जाना
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कक्ष है ख़ाली सा
गूँजता भीतर है कोई
तोड़ कर बेकारी दीवारें
उड़ने को बेताब कोई
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खोये से शब्द
टूटी कलम,सूखी स्याह
जिन्दा फिर भी
मन की चाह
कोहरा घना
दिन अन्धेरा रात सा
ढूँढे परिन्दा फिर भी
ज़रिया कोई राह का
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ताने-बाने बुने बडे
कुछ काम कर गये
कुछ गये रह धरे-धरे
यूँ न ख़ुद को हताश करे
मन में थोड़ा धीर धरे
मनुज तनिक विश्वास करे
रौशनी भरकर आया है
नये सूरज का सत्कार करे
चलो,फिर एक से शुरुआत करे-
यह वर्ष बहुत ख़ास रहा
कुछ मुस्कुराते से छायाचित्र
तो कुछ
गुनगुनाते, थिरकते से चलचित्र
संजोकर चल दिया ✍🏻-
वो संजो रही है
मैं सहज रहा हूँ
सपने हसीं
जिनसे ज़िन्दगी महक रही है-
I will not say anything, just am addicted to watching movies, have seen #the_kasmir_files now and will watch #the_karouli_files sometime.
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