Virendra P. Pandit   (Veer)
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Joined 10 September 2018


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15 JUN 2022 AT 9:01

Realisation of responsibility....!!!!

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20 MAY 2022 AT 11:15

खड़ा हूं तेरे सामने ए जिंदगी...
मिटा ले जितनी बार मिटाना है वजूद मेरा,
में भी ढीठ हूं,लिखता ही रहूंगा मन का मेरा।

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11 APR 2022 AT 19:53

इस मोड़ पे आ खड़ी हुई जिंदगी मेरी,
ना चाहूं साथ किसका बस प्यारी तन्हाई मेरी...।

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7 APR 2022 AT 16:51

सोचता हूं कभी मेरी क्या कमी रही हर रिश्ते निभाने में,
किसीने एक किल बाकी ना रखी मेरे दिल पर चुभाने में..।

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6 APR 2022 AT 22:54

अजीब दस्तूर है जिंदगी तेरा भी,
जब ढूंढता रहा साथ किसीका तो पाई तन्हाई,
मिला एक समुंदर रिश्तों का तो चाही तन्हाई...!!!

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26 JAN 2022 AT 17:23

जूठ कहते हैं वह लोग की पक्की दोस्ती कभी टुटती नही,
के जूठ कहते ही लोग के पक्की दोस्ती कभी टुटती नहीं,
शादी के बाद पक्की से पक्की इमारतों(दोस्ती) को टूटते देखा है....— % &

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26 JAN 2022 AT 17:15

तकलीफ होती है जनाब,
के तकलीफ होती है जनाब
जब आपकी कीमत लगाई जाए
ना लगाओ करोड़ों में हर्ज नहीं
पर रद्दी सा कर दो वह भी सही तो नहीं...!!!— % &

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23 OCT 2021 AT 21:21

आज भीड़ में रहकर पता चला,
कितना अकेला हूं मैं...।

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15 SEP 2021 AT 21:09

रिश्तों का वजूद मालूम हुआ जनाब,
की रिश्तों का वजूद मालूम पड़ा आज,
थे साथ में तब सोचा वक्त से मिलेंगे
आज वक्त है पर रिश्ते धुआं हो गए...।

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15 SEP 2021 AT 21:06

कुछ यूं अलग हुआ हु आप दोनो से मां पापा
जिस्म धरती पर रह गया पर रूह आपके साथ बसी...।

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