Virendra Mehta   (वीरेन्द्र मेहता "फकीर")
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Joined 2 March 2017


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1 OCT 2022 AT 23:29

मिलने वालों को मिले होंगे जवाब ,
हमें दुनिया मिली तो बस सवालों में मिली ||

#फकीर

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1 OCT 2022 AT 23:19

इतनी जर्द हो गईं है आंखें,
कि हर दर्द मरहम सा लगता है ,

वो अब शोर में दब जाती है सिसकियां,
इस भीड़ में भी तन्हा सा लगता है ||

#फकीर

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1 OCT 2022 AT 21:06

खुद से खुद को शायद मिला नहीं पाया ,
क्या चाहिए खुदको समझा नहीं पाया ,

बहुत कुछ पाने की चाहत में बहुत कुछ खोया,
तुम तुम्हारा तुमसे में "मैं" को समा नहीं पाया ||

#फकीर

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24 SEP 2022 AT 22:32

वाक़िफ तो हूं मैं दुनिया के तौर तरीकों से , पर
किसी की इबादत में ज़ाहिल होना सबसे हसीन लगा||

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6 AUG 2022 AT 23:20

हमें क्या मालूम था जिंदगी आज क्या लाएगी,
एक दोस्त ने कंधे पे हाथ रखा और कहा "चल देखी जाएगी " ||

#फकीर

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6 AUG 2022 AT 23:16

वो जो कहते है कि आज सुकून की नींद सोए हैं ,
एतराज है हमें, लगता है दुनिया में अब मुहब्बत नहीं रही ||

#फकीर

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6 AUG 2022 AT 23:10

वो समझाने बैठे जिंदगी मुझे ,
मैने मुस्कुरा के कहा "आवारा है हम" ||


#फकीर

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6 AUG 2022 AT 23:06

जिस्म से रूह तक का सफर , इश्क ,
होठों से आंखों तक का सफर , इश्क ,

मौत आने से पहले मरना गलत है ,
जिंदगी से जिंदगानी तक का सफर , इश्क ||

#फकीर

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6 AUG 2022 AT 22:53

देखो यूं मैं बुरा बहुत हूं,
ज़ख्म हूं और हरा बहुत हूं,

चेहरे पे मुस्कान लिए फिरता हूं,
ऐसे दर्द से भरा बहुत हूं ||

#फकीर

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15 JUL 2022 AT 20:11

वक्त बेवक्त उलझें हुए रिश्ते ,
छोटे छोटे कंधों पे बड़े बड़े बस्तें,

आसान हुआ करती थी इंसानियत,
अब खो से गए है बशर में फरिश्ते ||

बशर : इंसान

#फकीर

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