छोटे शहर के अखबार जैसा हूँ......
दिल से लिखता हूँ इसलिए कम बिकता हूँ ।।
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Virendra Joshi
(VIRENDRA JOSHI)
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मुझे लिखना नहीं आता।
Joined 5 May 2017
2 FEB 2021 AT 19:22
25 JAN 2021 AT 9:12
तलबगार हम ही रहे उम्र भर उनसे ईश्क कै ,,
काश खुदा ने उन्हें हमें समझने का मोका दिया होता ।।-
23 OCT 2020 AT 20:20
अपनों की बस्ती में गेरो के आशियाने"
तभी तो हम बेगाने,तभी तो हम बेगाने "!-
27 AUG 2020 AT 17:31
नशा मेरा कुछ इस तरह था जमाने में,,
जिसने भी फुंका मुजको आबाद हो गया 😊👏-
11 AUG 2020 AT 22:35
समय समय की बात है साहब ,दिन में आग उगलने वाला सुरज ,शाम को तोते की चोंच में होता हे ।।
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31 JUL 2020 AT 20:31
Sangeeta Gangawat चर्चे तेरे नहीं गुलाब के हे तुने तो खामखां उसकी खुशबू को ही खूद समझ लिया 😀😀😀✋✋✋
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30 MAY 2020 AT 19:00
बन कर जय चंद गद्दारी नहीं होती मुझसे
खंजर सीधा छाती पर ठोकू पीठ पर वार होता नहीं मुझसे !! 😀😀🙏🙏🙏-
25 MAY 2020 AT 19:50
इस इदी मुझे मेरा ख्वाब दे a खुदा
मुकमल हो मेरी हर दुआ वो मुझे साथ दे a खुदा !!
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