Virender Singh Apan   (वैरागी)
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Joined 25 December 2017


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Joined 25 December 2017
3 SEP 2023 AT 19:26

बचपन का शोर अब घुटन में समाने लगा है
पिताजी के जुतों में पैर अब आने लगा है...!

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19 FEB 2023 AT 21:49

धोखा, झूठ और छुपाने वाले मोहब्बत की बात करते हैं..
हर तरफ़ होती है तौहीन इनकी क्योंकि...
जल़न और नफ़रत से अपने ही अरमान ख़ाक करते हैं......!

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14 FEB 2023 AT 1:14

तुमने बस निगाहों में सूरत को उतारा है
हमने तो चाँद को इत्मीनान से निहारा है...!

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15 SEP 2021 AT 15:46

दोस्ती की राह में फूल दुश्मनी के सजाते गए
ख़ुद को कमज़ोर हमें मजबूत बनाते गए....!!

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31 AUG 2021 AT 7:02

सूरत पे सुकून सा टपके है
नैनों में प्रेम सा मटके है
बांसुरी से जलन केसी ये राधे
जब दिल में तू ही धड़के है.....!

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19 AUG 2021 AT 4:56

उम्मीदों से लबरेज़ रातें मेरी
जो तू समझ ले
तेरी आँखें नम हो जायें...!

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1 AUG 2021 AT 13:45

चारों तरफ़ दुश्मनों कि भीड़ ही सही
हक़ीक़त में दोस्ती जैसी रीढ़ ही नहीं

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24 JUL 2021 AT 6:59

ये जो चेहरे पर
ख़ूबसूरत सी मुस्कान लिए बैठें हैं
हक़ीक़त में..
दिलों में नफ़रत और गुमान लिए बैठें हैं....!

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16 JUL 2021 AT 8:00

दिया रात भर जलता रहा है
अँधेरा फिर भी कायम रहा है
सुना है रात भर बरसा है बादल
शहर फिर भी प्यासा रहा है..!

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13 JUL 2021 AT 10:55

मातम का आदि हूँ मैं तो
आय दिन जो ख़ुद का क़त्ल करता हूँ...!

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