Viren Chauhan   (Viren Chauhan)
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youngster'sneedloveorfriendhsip (Facebook page)
Joined 29 January 2019


youngster'sneedloveorfriendhsip (Facebook page)
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4 FEB AT 15:43

Munasib nhi, vo har safar Jo Hume aasan lgta hai,,
Mere dost, aajkal tu mujhe kafi pareshan lagta hai,,
Na uljh, fir un paheliyon me,,
Jinko hal karne se ilzaam lgta hai,,
Bedhadak chal apni soch se, rahe bna nyi,,
Kyo kisi ke pero ke Nishan ka ab picha kiya krta hai,,
Roj kar ibadat apne khawab ki,,

Roj kar ibadat apne khawab ki,,
Kyo kisi aur ke khawab k sahare ab jiya karta hai.

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3 FEB AT 23:58

"मेरी कहानी"

Aajkal labo par shikayato ke sur aksar Raha krte hai,
Kabhi kabhi to khud se hi lada karte hai,
Roj roj ki si kahani ho chali hai,
Sab piche chut Chuka hai aur ab ye bat bhi purani ho chali hai,
Jindgi ke rang udd se gaye hai aur bikhar gyi hai sari hasrate bhi kodiyo ke mol par,
Jaagne ka waqt hai dost ye raat ab jyda Kali or daravni ho chuki hai,
Kuch hil dul kar, kahkar, kuch to khud se badbada liyo Karo,
Jante hai mahfilo me nagme bayan krne Kai bat ab kahani ho gyi hai,
Uth kar jagao uss roshni ko jo dilo me liya firte the,
Badal do diye batti ko agr uski lo purani pad gyi hai,
Jala lo fir aankho ki un bhattiyo ko jinse mushkile jal Jaya krti thi,
Jokh do pasina jisko bahakar Khushi wali neend aaya karti thi,
Karo shuru fir chalna jin rasto par tumhara basar tha,
Shayad vahi kahi rahta hai vo insaan bhi jiska vo Ghar tha,
Likh do sari buraiyo ko ek bar aur Mita do fir jadd se bari bari,
Aur banao apni nyi Sundar behtar kahani,
Rukti hai,chalti hai,thokre bhi khati hai, yahi hai jindgani.

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3 FEB AT 23:18

Sometimes this feeling of being left alone is not that bad,
Because it contains the truth of the present situation,
While arguing with others we should keep finding our reality,
These days one thing we have we can trust is only our reality.

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3 SEP 2024 AT 0:42

एक अरसा बीत गया जब हर इंसान में एक दोस्त, साथी, अपनापन सा महसूस होने लगता था,

शायद लोग भी 5G की तेजी से बदल रहे है इन दिनों,

शायद......

पर अब हर उस खास दोस्त, साथी और रिश्तों में बस एक इंसान नज़र आता हैं जिसको आप महसूस नहीं कर सके वो बस एक अंजान सा इंसान लगता हैं।

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3 SEP 2024 AT 0:26

काफ़ी देर तक समझाया इस दिल को,
कि रही होगी कोई मजबूरी उनकी भी,

जो हमारी अच्छाई के चर्चे महफिलों में किया करते थें,
उन्हें क्यों अचानक हम खामियों का पुतला लगने लगे,

इस पर भी रुक जाता दिल मान लेता
कि कुछ नाराजगी रही होगी, कोई होगी बात वो हल कर लेंगे,

पर एक और महफिल से एक दोस्त का पैगाम आता हैं,
तुमसा बेगैरत इंसान कोई हो नही सकता आजकल ये नया गीत गया जा रहा हैं,

हां एक और झूठ पर लिपटा सच सामने आता हैं
कि बोल तो कोई और रहा था पर शब्द किसी और के थे,

बहुत देर तक समझाया दिल को शायद कि लोगो की सोच, दिल, और सच भी आजकल मौसम की तरह बदलने लगे है।

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2 SEP 2024 AT 23:58



तेरे मोती ना बिखरने दूंगा,
तेरे सपनों को धुंधला न होने दूंगा,
तेरे हर इरादे को अपना समझकर खुद से जोड लूंगा,
तेरी उम्मीद के हर शिखर को नया मोड़ दूंगा,
तेरी ख्वाइश को अपनी चाहत बना लूंगा,
तेरी मुस्कान को फीकी न पड़ने दूंगा,

तेरे मोती ना बिखरने दूंगा।

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25 AUG 2024 AT 23:34

"बारिश"

कुछ जबरदस्त हो रहा हैं इन दिनों बारिश में,
कुछ बेमतलब खयाल घर करने लगते है की, भीग जाते हैं,

कुछ बेमतलब खयाल घर करने लगते है की, भीग जाते हैं,
बारिश की ठंडी बूंदों से, अपनी औकात में आते है,
कभी मुस्करा लिया करते थे जिनके साथ, सच सच सारे चेहरे नज़र आते है,

थोड़ा बेसबर रहे है एहसास मेरे हमेशा से, बह जाने को,
अच्छा हैं बारिश में गलतियां भी, शिकायतो के साथ बह गई,
थोड़ी बची थी अधूरी सी उम्मीद, बस वहीं आखिर में साथ रह गई।

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26 JUL 2024 AT 21:21

मुझे जानने की गलत फहमी दिल से निकाल दो,
मैं तुम्हारे फैसलों के बाद की सोच से शुरू होता हूं।

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26 JUL 2024 AT 1:07

वो बिखेरना चाहते थे और हम उनकी चाहतों को पूरा करना,

वो तोड़ देना चाहते थे हर सच्चे रिश्ते को और हम चाहते थे न रहें कोई ख़्वाब उनका अधूरा,

वो मजबूर खड़ा देखना चाहते थे और हम उनकी मुस्कुराहट,

वो हर जज़्बात को जंग बना देना चाहते थे और हम उनके साथ को जिंदगी,

वो हर दिन इन आंखों को भिगोना चाहते थे और हम उनकी आंखो में चमक,

पता नही था की इतना खयाल है उनको हमारा,
इंसान हुआ करते थे पुतला बन गए ये ही था उनका जादू।

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26 JUL 2024 AT 0:15

अब यूं न छोड़ दो अकेले मुझे, इन उलझी हुई पहेलियों में,

तुम्हें तो मालूम है मुझे पहेलियां रास नहीं आती,

कहीं खो न जाऊ तुम बिन मैं इस बवंडर में,

किस्से करू अब शिकायते ये तो बता,
तू नज़र आती नहीं और ये यादें तेरी, जहन से जाती नहीं।

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