तुम्हारी अदाएं भी खूब लुभाती हैं,दूर भी अगर चला जाऊ तो खींच कर मुझे ले आती हैं,
शरारतों का तो तुम नाम न लो, बातो बातो में ही उलझाती हैं,
तारीफ में बुन लो चाहें कशीदे जितने, दूर से ही टहलाती है,
नाम सुनहरी तेज़ सा मगर चंचल मन कर जाती हैं,
बात अनोखी, ख्वाब निराले, देसी नखरे सारे उसके,
जो माने दिल से अपना होता जैसे वो एक सपना,
सोच सोच के करती बाते,जवाब देने में बड़ी देर लगाती हैं,
पर लगानी फटकार किसी को पहले उससे आवाज़ निकल आती हैं,
दीवाने फिर रहे बहुत हुस्न के,वो मस्ती से पुचके खाती हैं,
सब समझ के फिर बेखबर सभी से खुद को वो दिखलाती हैं,
अंदाज उसी का भाता दिल को चाहें वो कितना भी इतराती हों,
मिलना चाहें दिल हर पल उससे जैसे वो कोई दिल का साथी हों।
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