it hurt's a lot,
When you trust
Someone blindly and in
The end they prove
That you're actually blind.-
Some art
to medicate
your heart;
one scream
to soothe yours;
other tears
to wipe off yours.
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અસ્તિત્વ ની ગણતરી કેટલી...?
જગત માંથી ગયા પછી
એક કા'ણ થાય એટલી....!!!-
लफ्ज़ क्या समझोगे!
जब जज़्बात नहीं समझ पाए।
खामोशी क्या समझोगे!
जब अल्फाज़ नहीं समझ पाए।।
ज़बान चाहे जो कुछ कहे,
ये अाँखे सच बोलती है।
तुम सच क्या समझोगे,
जो नज़र नहीं मिला पाए।
इतने मशगूल हो !
दुनिया की चकाचौंध में।
तुम रोशनी क्या समझोगे !
जब रात नहीं समझ पाए।।
दिन मे तीन वक्त ।
पाँच पकवान खाने वाले।
तुम गरीबी क्या समझोगे !
जब भूख नहीं समझ पाए।।
'जियो और जीने दो'
बस यही शाश्वत सत्य है।
तुम जीवन क्या समझोगे !
जब जीव नही समझ पाए।।
देख नासमझ,आज दुनिया खड़ी है !
विद्वंश के किनारे पर ।
तुम अंत क्या समझोगे जब !
कविता की शुरुआत नहीं समझ पाए.....
-viramahir (रक्त कलम)✍️✨♥️
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जो हारा हो वो, अंजाम से लडना जानता है।
जो ठुकराया हो,वो हक पे अडना जानता है।।
जो गिरा ही नहीं ,वो क्या जाने उठते कैसे है?
जो जख्म लेता है,वही चढना जानता है ।।
तुफान तो आते जाते रहेंगे,सिकंदर समुंदर मे टिकना जानता है।
अनमोल रखो तुम रकम अपनी,रिश्तों का बाजार बिकना जानता है,।।
सच क्या है तुम्हारा,तुम जानते हो,।
वरना शहर का अखबार झूठ लिखना जानता है।।
जो लुटा नहीं सकता,वो झुकना जानता है।
जो सबकुछ लिए बैठा है, वो रुठना जानता है।।
बेढंग रस्तो से ! वही मंजिल पर पहुचा है,
जो खबर रखता है शहर की या जो रस्ते पूछना जानता है ।।
-viram ahir (रक्त कलम)✍️👑
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इतना काफ़ी है कि,
तुझे जी रहेंगे 'ज़िंदगी'!
बस अब,
इससे ज्यादा मेरे,
मुंह मत लगा कर....!-
दिखावटी है उनका इतराना भी,
बनावटी है मेरा मुस्कुराना भी,
हर कोई किरदार मे है,
हर कोई खुद के प्रचार मे है,
पर्दों के पीछे पर्दे है,जिल्दों के पीछे जिल्दें है,
अहंकार भारी है,बाकी इंसान सब हल्के है ।।
-Viram ahir-
नउम्मीदों ने भी उम्मीद दिखाई है कभी?
कोई मुस्कान दर्द में आई है कभी?
लेकर सुबह कबतक चलूं उजाले में
बिना ढले कोई शाम आई है कभी ?
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