લાખ જણ લખતા ગઝલ જીવી ને લખતા કેટલા
આપણી પાસે ફક્ત ઇર્શાદનું દ્રષ્ટાંત છે
Chinu Modi ❤️-
नज़्म :- मेरी बेटी से कह देना
बडी होगी तो पुछेंगी
यहा पर है मगर फिर भी नहीं है वो
ऐसे तो नहीं है दुसरे के डेडी है जो
ये सुन कर मत सुलगना तुम
ना, उस से मत उलझना तुम
उसे मत समझाना मेरी हालत तुम
नहीं करना कोई मेरी वकालत तुम
उसे सच क्यां बताओगी ?
उसे कुछ समझा ना पाओगी
बहोत सीधा सा रस्ता दुँ ?
तो युँ करना
मेरी ग़ज़लें जला देना मेरी नज़्में जला देना
मेरी बेटी से कह देना तुम्हारा बाप पागल था
विरल देसाई-
हँसी हँसी में हर इक ग़म छुपाने आते हैं
हसीन शेर हमें भी सुनाने आते हैं
रईस सिद्दीक़ी
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बहुत बुरा किया के तुम को याद किया
ज़ख़्म हरा किया के तुम को याद किया
चांद सड़क घर कमरा दिवारे तस्वीर-
से डरा किया के तुम को याद किया
विरल देसाई-
ग़ज़ल
ये दुनिया तो हमें कब से सताने मे लगी है
वो लड़की है हमे सब से बचाने में लगी है
ये तुम्हे मिलने की जिद्द पर दिल अडा है
उदासी रात से उसको मनाने मे लगी है
अभी मे तो कई ज़िस्मो से रीश्ता रख रहा हूं
हमे कितनी हवस तुमको भुलाने मे लगी है
दिये की उम्र हम से पुछ है कैसे गुजारी
जलाने में लगी कुछ कुछ बुझाने मे लगी है
तेरे शौहर को लिख कर ख़त बताया था की देखो
मेरे खुन की बूंदे उस ख़ज़ाने में लगी है
सदाऐ थी वो मेरे शेर बन चुकी है विरल
सदाऐ जो सभी उसको बुलाने मे लगी है
विरल देसाई-