Vipul Trar  
33 Followers · 19 Following

प्रेम कलम से और वतन से

पंक्ति परिवर्तन की
Joined 1 May 2020


प्रेम कलम से और वतन से

पंक्ति परिवर्तन की
Joined 1 May 2020
13 AUG 2022 AT 1:43

वो जो तुम्हें दिख रहा ढलता सूरज,ढला नहीं है
एक लडका है खुली किताबों में,कई रातों से सोया नहीं है

हर नजराना बना नहीं हर किसी की नजर के लिए,
कुछ सिमट गए कमरों में कुछ का चांद निकला नहीं है

-


21 JUN 2022 AT 22:17

ना धन,तन,मन और ना ही घर के द्वार से
सांसो की डोर बंधी है,प्रीतम के प्यार से

पड़ता हो थप्पड़ तो क्यों ही बर्दाश्त कीजिए
मेरे हूजूर इधर आइए जीना हो तो तलाक लीजिए

-


4 MAY 2022 AT 22:03

बिना रकीब के इश्क़ का मज़ा ही क्या,
हर बूंद के सायें में दरख़्त हो वो बारिश क्या

तुम्हें जाना है तो जाओ पर लौटकर आना,ऐ मुसाफिर
सिर्फ एक शख्स तुमसे मोहब्बत करें,यह हकीर नहीं
तुम्हारे चेहरे पर नूर तो है या है नजरों का फलसफा यहाँ

-


4 MAY 2022 AT 17:01

जिस दिन.....

शमशान घाट गाँव के बीच में होंगे,
धार्मिक स्थल गाँव से बाहर बनेंगे


उस क्षण हम दुख-सुख,अर्थ,काम,लालसा
जैसी चीजें सिर्फ माथा चुमने के लिए होंगी


मृत्यु को ढकने से हम खुशी की तरफ नहीं जाते
संसार का प्रेम में डूबा रहना ही मोक्ष दिलाता है

-


28 OCT 2021 AT 15:06

"गांव में दवा''


रूतबा-ए-जीवन,अदब से जिंदगी नहीं मिलती
शहर में हवा तो गांव में दवा नहीं मिलती

वो बंद ख्याल अच्छा नहीं,उसे उडने दो
यहाँ हर चिड़िया को जिंदगी नहीं मिलती

जाना अच्छा है,जाने वाले को रोको नहीं
सावन की वर्षा बंद दरवाजे से नहीं मिलती

एक फटी चादर का ठिकाना बुढ़ा शरीर था
अब वो खाट उस चौखट पर नहीं मिलती

फकीर की कहानी में सूकून रातें नहीं मिलती,
शहर में हवा तो गांव में दवा नहीं मिलती

-


18 OCT 2021 AT 14:52

सर्वोदय में सब हुआ पर हुआ उदय ना किसान का,
जाकर देखलो तीसरे खेत में शव पड़ा मेहतराम का

-


6 OCT 2021 AT 15:22

जंजीर बढा कर यूँ पिंजरे में डाले जायेंगे,
आज किसान मरे है,कल मजदूर मारे जाऐंगे

अरसे बाद आंखें लाल हूई है लाश देखकर,
अब इंकलाब की फिजा में गीत गाये जाऐंगे

जम्हूरियत का वचन था शपथ लेते शख्स में,
हम नहीं जानते थे आईन के पन्ने यूँ फाडे़ जाऐंगे

आंखें घुम जाती है इन सभी पेट भरे इंसानों की ,
सत्ता के नमक से अब रोटी को धोखे दिये जाऐंगे

हर दरख्त की छांव से पत्ता उठाकर किसान लिखो,
यह मालूम है कि कल अन्नदाता नहीं बख्शे जाऐंगे

-


15 AUG 2021 AT 2:50

वो शोर ना आया मृत्यु सज्जा से,
हर पल दे आया वीर उस नैया में
कईं ख्वाहिशें त्यागी भरी तरूणाई में
जब हुए अलविदा मतवाले फांसी शैया से

पलटी काया,कुछ संघर्षों का यूँ आगाज हुआ,
एक बूढ़े के डंडे से हर साम्राज्य यूँ खाक हुआ
फिर तुर्की ढहे और अंग्रेज़ों के बंद मकान हुए,
जब कई अलबेले भगत और आजाद हुए

आबाद परिंदे जैसा अपने भारत का निर्माण हुआ,
एक बदहाली से निकलकर चारों ओर गुणगान हुआ
कभी रातों तो कभी भौरों में रोया भारत अपने हालों में,
चलो अब आगे की ओर कि एक नये भारत का प्रस्थान हुआ

-


4 JUN 2021 AT 11:13



"धूल चढ़ती किताबें
और
प्रेम से तृप्त हृदय"
सबसे अधिक बोलते है

-


3 JUN 2021 AT 16:48

कभी कभी इन्कार से उन्हें सूकून मिला,
सूखे होटों में अदब,नजरों में कातिल मिला

मोहब्बत से क्या गिला यार की रूमानी में,
उस आशिक का इश्क़ क्या जो जिस्म से मिला

-


Fetching Vipul Trar Quotes