तुम्हारी नागवार बातें भी गवारा है मुझे,
फिर तुम्हारी बातें बड़ी कितनी ही हो।
मेरी कुछ चीज़ें तुम सीख लो,
शायद मुझे भी तुमसे कुछ सीखनी ही हो।
वो सब जो तुम्हारी आँखें देखती हो,
अभी तो मुझे वो सब भी देखनी ही हो।
तुम्हारी बातें मेरे साथ है,बस उतना काफी है,
फिर भले ही तुम्हारी याद मेरे साथ रहनी ही हो।
मैं तुमसे प्यार करूं,बस बेइंतहां करूं,
ये बात भी तुमको कभी कहनी ना हो।
तुम्हारी बातें तुम्हारे कहने से पहले सुनूं,
ऐसे सुनूं की तुम्हें वो चीखनी ना हो।
मुझे तुम पूरी की पूरी चाहिए,
फिर चाहे औरों के लिए जितनी भी हो।
और जितने भी दिन गुज़रे तुम्हारे साथ,
मैं चाहूंगा मेरी ज़िंदगी उतनी ही हो।-
मिलने को तो कई मिल जाती हैं,
लेकिन तुम्हारे लिए मैं खुदको वफादार करता हूं।
तुम्हारी बातें थोड़ी उलझी रहती हैं,
इसलिए भी खुदको होशियार करता हूं।
ना जाने कब किसकी जरूरत पड़े,
इसलिए खुदको हरदम तैयार करता हूं।
तुम्हारी झूठी बातों पर भी सच्चा यकीन रखकर,
मैं तुम पर बहोत ही एतबार करता हूं।
तुम्हारे साथ एक उम्र तक जीना है मुझे,
इसलिए भी तुम्हार अपनी जान वार करता हूं।
मेरी गलती है तुमसे प्यार करना,
और यही गलती मैं हर बार करता हूं।
जो भी करूं, जैसा भी करूं,
मैं बस तुमसे प्यार करता हूं।-
तुम्हारी हँसी मुझे इतनी पसंद है,
कि तुमको जिताकर खुदको नाकाम करता हूं।
पिछली बातें हमारी जो भी रही,उनको भुलाकर,
तुम्हें साफ कह खुदको बदनाम करता हूं।
जो बातें करूं बस तुमसे ही करूं,
किसी और से बातें करना भी अपने लिए हराम करता हूं।
रात को जब मैं तुमसे बात करता हूं,
तब कहीं जाकर मैं चैन से आराम करता हूं।
तुम्हारे लिए मैं जो चाहूं करूं,
जो भी करूं खुलेआम करता हूं।
हां मुझे नशा है तुमसे प्यार करने का,
और ये नशा मैं सरेआम करता हूं।
तुम्हारे बारे में लिखने पर शब्द कम पड़ेंगे,
इसलिए अब इसको यहीं पर पूर्ण विराम करता हूं।-
आपके साथ होने से दुःख ही दुःख हैं,
इसलिए हमे बिना बताए ही आप बिछड़ जाइएगा।
नज़रों में मेरी आप अब कहां बसी हैं,
धीरे धीरे हमारे दिल से भी आप उतार जाइएगा।
हम आपके हितैशी लोग हैं,
हमसे बिछड़ कर किधर जाइएगा।
आप तक आती हैं कई राहें,
जिधर दिल करे आप उधर जाइएगा।
टूट कर भी इस दिल को है आपसे मोहब्बत,
इसलिए ही कहता हूं, दगा करके हमसे सुधर जाइएगा।
कहीं अब मुलाकात हो जाए हमसे,
बचा कर नज़र को गुजर जाइएगा।-
एक अरसे से मन मेरा भरा ही नहीं है,
तुम जब अपने हाथ से खिलेगी तब पेट भर खाऊंगा।
रुखसत के समय जो तुम रोकोगी,
तुम्हारे बोलने भर से मैं रुक जाऊंगा।
वो काम जो तुमको पसंद हैं,
उनको हंसते हुए मैं कर जाऊंगा।
तुम्हारी बोली में मिठास बहोत है,
तुम्हारे आंख दिखाने से ही मैं डर जाऊंगा।
तुम्हारी आँखें बहोत कुछ कहती हैं,
तुम इशारे करना मैं सुन जाऊंगा।
वो जिन ख्वाबों में मैं और तुम हों,
उनको हकीकत में मैं बन लाऊंगा।
जब आखरी सांस जाएगी ज़हन से मेरे,
तुमसे दूर मैं तब जाऊंगा।
और मैं वक्त नहीं,यार हूं तुम्हारा,
तुम जब बुलाओगी मैं तब आऊंगा।-
इतनी लंबी यारी के बाद कहती हो कि मैं तुमसे दूर हो जाऊं,
तुम खुद ही बताओ कि तुम्हारी कातिल मुस्कान से खुदको मैं छुड़ाऊं कैसे?-
ये कुछ दिनों के रिश्ते निभाने वाले,
आपस में बड़े ही अनजान होते हैं।
वो जो बात किसी के करके साथ किसी के रहते हैं,
ये शातिर लोग बड़े ही बेईमान होते हैं।
अमूमन लोगों को पता होता ही नहीं को हुआ क्या है,
इसलिए अक्सर वो बहके बहके बयान देते हैं।
अभी रिश्ता नया है, तो पहलू टटोलते हैं,
अपनी भी कुछ ज़रूरतें हैं, इसलिए ही इतना ध्यान देते हैं।
जब हर पहर बस यार का ही ख्याल घूमे ज़हन में,
ऐसे में यार को खुशबू से भी पहचान लेते हैं।
जो किसी भी मरहम से भरे ही नहीं,
अपनी चोट से वो ऐसे निसान देते हैं।
और उनको देखे हुए अब तो मुद्दत हुई,
हमारी शिद्दत ऐसी की हम अब भी, उन पर अपनी जान देते हैं।-
पढ़ने बैठता हूं, कॉपी पर लिखता हूं नाम तुम्हारा,
लिखलिख कर मिटाता हूं मैं नाम तुम्हारा।
कोशिश बहोत की तुम्हें भूल जाने की,
पर दिल से जाता ही नहीं है ख्याल तुम्हारा।
हम साथ होकर भी साथ क्यों नहीं रह पाते हैं,
अब मन से जाता ही नही है ये सवाल तुम्हारा।
देखो तुम डरो मत, जो मन करे वो करो,
मैं हूं ना, मैं ही संभालूंगा हर बवाल तुम्हारा
किसी और को देखने का दिल करता ही नहीं,
बस तुम्हारा ही होकर रह चुका है यार तुम्हारा।
तुमने यकीन किया था मुझपर, बस उसे ही बनाए रखना,
मैं कभी होने नहीं दूंगा भरोसा खंडित तुम्हारा।
और देखो तुम्हें समय चाहिए, जितना चाहो ले लो तुम,
बस दूर होने की बात ना करना,
वरना जीते जी ही मरेगा "पंडित" तुम्हारा।-
मेरी गैर हाजरी में,जो दुःख मिले तुम्हें,
इनको मैं कभी भी उभरने नहीं दूंगा।
एकदम से सुशील और सभ्य हो जाओ,
इतना भी तुमको मैं सुधरने नहीं दूंगा।
पिछली जो गलतियां हुईं, इनको भूल जाओ,
इन्हें अब दुबारा मैं दोहराने नहीं दूंगा।
तुम्हारे और मेरे साथ के,वो हमारे लम्हे,
इनको मैं कभी धोने नहीं दूंगा।
तुम जाना चाहो दूर और चली जाओ,
ऐसा कभी मैं होने नहीं दूंगा।
मेरे साथ में बस इसी बात की गारेंटी है,
तुम्हारी हंसी का तो पता नहीं,
लेकिन आँखों का काजल मैं खोने नहीं दूंगा।-
दुखों का पहाड़ बना कर रखा था मैंने,
उस पहाड़ को अब ढहाने चला हूं मैं।।
वो चाहत जो तुम्हारे लिए थोड़ी कम हुई थी,
वही चाहत अब फिर से जगाने चला हूं मैं।।
वो मेरी है,और अब मेरी ही रहेगी,
यही बात सबको अब बताने चला हूं।।
मेरा तुम्हारे ऊपर जो हक है,
अब वही फिर से जताने चला हूं मैं।।
तुम्हारे लिए मेरे अंदर कितना प्यार है,
अपनी बातें कविताओं में लिखकर,
तुमको इसका एहसास जताने चला हूं मैं।।
मेरी कविताओं से तुम कितनी सजती हो,
ये सब लिखकर तुमको अपने लिए सजाने चला हूं मैं।।
मुझे मोहब्बत हो गई है शायद,
फिर से चांद को पाने चला हूं मैं।।
बहोत रोया था कभी जिस वजह से,
वही गलती फिर से दोहराने चला हूं मैं।।-