जुबा पर लफ्ज़ कभी न आए
ओर ये लम्हा कभी खत्म भी
न हो पाए-
Instagram- vipul.pokharana
📞8955777465
तुझे जो याद नही रहता वो मै... read more
जानता हूँ, तुम क्यूँ वो नहीं लिखती
जो मैं पढ़ना चाहता हूँ,
तुम क्यूँ वो नहीं कहती
जो मैं सुनना चाहता हूँ,
डरती हो ना !
कि हृदय से प्रेम छलक न जाए कहीं,
तुम्हारे अनकहे शब्द मुझसे
प्रेम की रीत कह न जाए कहीं,
तुम्हारे अनछुए स्पर्श
मुझे महसूस न हों जाए कहीं,
तुम्हारे आँखों के आँसू के लिए
मेरी खुशियां गिरवीं न रख जाए कहीं,
हाँ ....!
कहा नहीं कभी तुमने मुझसे,
फिर भी मैं तुम्हारे प्रेम को महसूस करता हूँ,
सुनों.... !
मैं तुम्हें ! तुमसे ज़्यादा जानता हूँ,
ख़ुद से ज़्यादा तुम्हें मानता हूँ....❣️-
वादों की जरूरत नहीं होती उन रिश्तों में,
जहां निभाने वालों पर भरोसा होता है..❣️😘
-
सभी प्रेमिकाएं नही करती प्रेम
बाइक या कार वाले लड़को से
कुछ प्रेमिकाओं को पसंद होता है
अपने प्रेमी के साथ चलना पैदल अनंत तक!!
कुछ भी मांग लो की एक बात पर
नही मांगती अंगूठी पायल या झुमकी !!
वो मांग लेती हैं
अपने प्रेमी का ह्रदय और एक ही वादा
हमेशा साथ रहने का...!!
उनको अपनी खुशी से ज्यादा प्रेमी का शुकून प्यार होता
रख कर गोदी में प्रेमी का सर
उसे रखना चाहती दुनिया की परेशानियों से दूर...!!
वो नही चाहती प्रेमी के साथ होटल या पब जाना
वो चाहती मंदिर में उसके साथ कुछ पल शांति के बिताना..!!
खूबसूरत होती है वो प्रेमिका
हो प्रेमी को बच्चे जैसा दुलार देती...!!
-
अगर तुम कभी प्रेम करो
तो चुनना उसे अपने लिए
जो जानना चाहे
तुम्हारा पसंदीदा रंग,
जिसे दिलचस्पी हो इस बात में
कि तुम्हें कॉफ़ी का कैसा स्वाद पसंद है,
तुम उसके साथ प्रेम में पड़ना
जिसे तुम्हारे हँसने के अंदाज़ से प्रेम हो,
जो सुनें तुम्हारे दादा-दादी की प्रेम कहानियाँ
उकताए बिना,
और जो टिका दे अपना सर तुम्हारे कांधे पर
सुकून की तलाश के लिए,
तुम उसे अपना प्रियतम चुनना
जिसे शर्मिंदगी न हो
भरे बाज़ार में तुम्हारा हाथ थामने से,
जो चूम ले तुम्हारे माथे को सरेआम
और कह दे ज़माने से कि
उसे गर्व है तुम पर,
तुम प्रेम उसी से करना
जिसे फ़िक्र हो तुम्हारी
जो सवाल करे तुमसे कि
आखिर क्यों नही खाया खाना इतनी देर तक
आखिर क्यों उदास हो आज
फिर तुम उसका साथ कभी न छोड़ना
जिसकी ख़्वाहिश ही इतनी हो कि
उसकी हर सुबह तुम्हें देखने से हो
और हर शाम तुम्हारे ख्याल से❤️
-
प्रेम क्या है...👨❤️💋👨
क्या ये किसी रिश्ते का नाम है
या इसका संबंध देह से है
नहीं ...
'प्रेम' तो इक 'अनुभूति' है,
वह मोहताज नहीं रिश्तों का क्योंकि रिश्ते तो अपना
मूल्य मांगते हैं मूल्य न मिलने पर
सिसकते, टूटते, बिखरते हैं
फिर यहाँ प्रेम कहाँ....?
क्या प्रेम देह से जुड़ा है??
नहीं...
जिस तरह पूजा के बाद अमृत, पानी नहीं रह जाता
तो प्रेम का पर्याय देह कैसे हो सकता है?
प्रेम का न कोई मूल्य होता है न ही कोई दैहिक सम्मोहन
प्रेम इन सब से परे है
प्रेम इबादत है...
प्रेम इन्सानियत है...
प्रेम बन्दगी है...
प्रेम भक्ति है...
प्रेम विश्वास है...
इसमें ना खोना है न पाना है
बस करते चले जाना है...
फिर ये प्रेम मनुष्य का मनुष्य से हो
या मनुष्य का ईश्वर से हो
या ईश्वर की किसी कृति से हो...-