શેર
આજ તારા સૌ ગુનાઓ માફ થાશે,
ઝાપટા એકાદ બે થૈ જાય આજે
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जब चल पड़े है कर्म पथ पर
तो कंकरो से डरना क्या अब,
विचार आदर्श, सदाचारी हो हम,
तो और रही कामना क्या अब,
जब चल पड़े है कर्म पथ पर
तो कंकरो से डरना क्या अब,
स्वयम् स्विकृत है कार्य हमारा,
चरणों में दूसरा धरना क्या अब,
जब चल पड़े है कर्म पथ पर
तो कंकरो से डरना क्या अब,
एकात्म भाव से जुड़ गए सब,
तो ऐकान्त में रहेना क्या अब,
जब चल पड़े है कर्म पथ पर
तो कंकरो से डरना क्या अब,
पथ कठीन हो साधना का जब,
सेवा से बड़ी साधना क्या अब,
जब चल पड़े है कर्म पथ पर
तो कंकरो से डरना क्या अब,-
मनवा काहे को चिंता करें तूं जग की..
काहे को चिंता करें?
जितना तूं सोचता है, उनता कहा होता है?
पल-पल सिर पकड़े क्युं रोता है?
ओ मनवा काहे को चिंता करें तूं जग की..
काहे ना धीर धरे? ओ मनवा
तन तेरा तूटता है, डर नहीं छूटता है,
भ्रम और कलेश तुझको लूटता है,
ओ मनवा काहे को चिंता करें तूं जग की..
काहे ना धीर धरे? ओ मनवा-
देखो देखो केन्द्र के सिपाही आज आए हैं,
त्याग और सेवा का व्रत लेकर आए हैं।
गुरु ॐकार का जप लेकर आए हैं,
घर घर से आए हैं, दर दर पर आए हैं।
भारत हो विश्वगुरु ऐसा व्रत लेकर आए हैं,
त्याग और सेवा का व्रत लेकर आए है,
देखो देखो केन्द्र के सिपाही आज आए हैं |१|
स्वामी जी का संदेश, घर-घर ले जाएगे
तन,मन, धन से सेवा का अलख ये जगाएगे,
भ्रष्ट लंका जलाएंगे, राम राज्य लाएंगे,
त्याग और सेवा का व्रत लेकर आए हैं,
देखो देखो केन्द्र के सिपाही आज आए हैं |२|
वैराग्य रामकृष्ण का सबको समझाएंगे
गीता जी सीखाएगे, वेद घर-घर पहुंचाएंगे,
ज्ञान और कर्म से ही साधना सीखाएंगे,
त्याग और सेवा का व्रत लेकर आए है,
देखो देखो केन्द्र के सिपाही आज आए हैं|३|-
છે વધી આગળ બધે એ, લીધુ માની,
મારી કમનસીબી કહી, લીધુ માની,
હાથ નીચો ને, હથેળી છે ખુલ્લી,
ખોટ કૂવામાં તમારા, લીધુ માની,-
લખો સીધ્ધુ, ઉલ્ટું લાગે છે, કરીએ શું?
કહી દો સાચું, ખોટું લાગે છે, કરીએ શું?
કરો કસરત અને યોગા ગમે તેવા,
અમારું પેટ મોટું લાગે છે, કરીએ શું?-