Vipin Dawaiwala   (Vipin Dawaiwala)
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Joined 25 April 2019


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AN HOUR AGO

इंसान‌ है इंसान‌ की‌ तरह धड़कते हैं
अना‌ की आन है‌ जिंदा,
समझादार की आस में तड़पते हैं....

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YESTERDAY AT 15:21

बिना‌ तेरे आस पास ‌उदासियों‌ का‌ मंजर है।
दिल हो रहा है चाक, गायब मगर खंजर‌ है।
प्यास बुझाने ‌को‌ चाहिए नारियल का‌ पानी।
किनारा‌ है, सदाएं‌‌ हैं‌, कश्ती और समंदर‌ है।
इस‌ कदर‌ खामोश ओ खुदज़ब्त है‌ किरदार।
बुत है? बुतखाना‌ है? आदमी है? कलंदर है?
अब के बरसेगा सावन‌ झूमके, हो न‌ हो
सूखे पत्ते, तेज‌ हवाएं, कैसा ये बवंडर‌ है?
दिन‌ महीने साल गुजरते रहे जैसे तैसे।
तुम आओ‌ तो सोऊं, कमरे‌ में लैवेंडर है।

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27 APR AT 20:51

टिमटिमा रहा था इक‌‌ दीया मुंडेर पर यूंही
कि ठहर गया था चाॅंद, करामात रोक के।

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27 APR AT 16:29

ये बात और है कि दोस्त‌ मेरे करते‌ नहीं कद्र आज भी।
मगर, दुश्मन भी करते हैं कद्र‌ मेरी आजमाने के‌ बाद।

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23 APR AT 14:34

चाहा था किसी को‌ याद करते
किसी ‌को‌ याद आते।
इसी चाहत‌ में हो गए दूर
पास आते‌ आते।
फ़रियाद कर‌‌ रही हैं
तरसी हुई निगाहें
मिल जाती नजरें
और दोनों मुस्कुराते।
गुफ्तगूं भी कर लेते
जो मुलाक़ात हो‌ जाती,
कुछ सुनते तुम्हारी
कुछ अपनी सुनाते।
जुल्फों से अठखेलियां करते
....................
रखकर तुम्हारे कांधों पर सर
कुछ हम गुनगुनाते।
तेरी‌ या‌द का तहे दिल‌ से
शुक्रिया ऐ‌ दोस्त
आ‌‌ ही गई आखिर
फिर भूलाते भूलाते।




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23 APR AT 13:49

मोहब्बत का मुझको ‌किनारा मिला‌‌ है।
जब से हमें उनका का‌ इशारा‌ मिला‌ है।
सागर से अथाह फैलाव में ‌थी ये कश्ती
शुक्र है हमें ‌लाइटहाऊस‌‌ हमारा मिला‌‌ है।
होगा सफर अब‌ पूरा बेहिचक संग‌ तेरे
कहने वाला‌, मिला‌ जो, होगा गवारा मिला‌‌ है।
धरा‌ में स्नेह जो पा‌‌ लिया नसीबवाले‌ ने,सोंचे विपिन
हर चुनौती है लायक, पाला जिसे हमारा‌ मिला‌ है।

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19 APR AT 20:02

आरज़ू ‌ए यार‌ हो पूरी, ‌है‌ ये दुआ‌ हमारी।
तपें सूरज की तरह, न चुभे‌ शुआ हमारी।

कितने‌‌ भी‌ हो‌ जाएं बड़े जमाने में, हम जानते‌ हैं
रहेगीं हमसे बड़ी हमेशा, मौसी और बुआ हमारी।

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19 APR AT 19:46

पेन, पेपर,पेंसिल,किताब चाय की प्याली।
मखमली -धूप, सर्द- सुबह, शबनम‌ वाली।

अपने आप‌ में‌ होना, कुछ सुकून‌ के पल।
मिठास ‌मौसम‌ का, दिल‌ को छूने वाली।

सरहदें तो हैं बस‌ ज़मीन पर खींची हुई लकीरें
बाॅंटती है पहचान पर रोकेगीं कैसे हमख्याली।

अलग होना इक‌ दिखावा‌ है, जमीं आसमान मिलते‌ नहीं महज़ छलावा ‌है।
जानने‌ वाले जानते हैं की ये जमीं‌ है ‌ही आसमान के बीच रहने‌ वाली।

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15 APR AT 21:18

मैं हूं जिसकी तलाश में।
है वही मेरी तलाश में।
सोचा था खुद को क्लासिक मैंने।
अब जाना और भी हैं मेरे क्लास में।
बनोगे काबिल तो कामयाबी कदम चूमेगी
रखो यह ख्याल हमेशा होश ओ हवास में।
एक से काम चल जाए तो दो मत बोलो
मत धकेलो तुम खुद को बस बकवास में।

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15 APR AT 20:45

मोह से
बढ़कर एक कदम आगे
बस प्रेमास्पद के श्रेय के लिए
तथाकथित जीवन रुपी यात्रा में रहना मोहब्बत है।

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