Vipin Dawaiwala   (Vipin Dawaiwala)
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Joined 25 April 2019


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Joined 25 April 2019
26 APR AT 17:40

मोहब्बत खुद एक दवा है, जिसको जरूरत थी उसे मिला है।
मंंजिलेमकसूद के सफर में काबिल बनाना इसका सिला है।

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26 APR AT 10:39

कैसी आज़ादी है बंदा भी रिहाई मांगे।
ज़मीं पर आने की मोहलत खुदाई मांगे।

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25 APR AT 23:34

लौ जरा चमकने दो
धुऑं भी सरकने‌ दो
तो जानोगे हूजूर, था
वो इंकार या इकरार...

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25 APR AT 23:26

खुद से मुहब्बत है जरूरत खुद की।
मसरूफ दुनियादारी में सूरत उसकी।

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24 APR AT 11:01

जानकर करेंगे क्या,
सफर है, सफर का लुत्फ लो।
अबोताब वक्त की
पनाह में रवां है....

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20 APR AT 22:52

नाराज़ हो सही, न तलवार म्यान रखना।
काफ़ी है जारी गूफ्तगू हमारे साथ रखना।

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19 APR AT 19:36

खुश हूं कि हो तुम, ख्वाहिश है वस्ल की।
दस्तानएयाराना है निराली इस नस्ल की।

बीज तो रोप दी देख कर मौसम और मिट्टी
करें मिलकर हिफाज़त अब इस फ़सल की।

खींच कर खाका‌‌ लेखपाल ने समझा हो गया।
मेरे मालिक मुझे भी तो दे कापी नकल‌ की।

रास्ता होगा‌ सरल, कुछ‌ चल गुजरने से
कभी दिल‌ की सुनो, कहीं अक्ल की।

कृतित्व से निखरता है किरदार आदमी का
नहीं ज्यादा महत्व हमारी शक्ल की।

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18 APR AT 23:03

भवानी भावगम्यम्, क्षम्य अगणित अपराध मम्।












शिवानी कल्याणदायिनी,मातुविकारहारिणी त्वम्।

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16 APR AT 20:26

कर्ज वही था
कर्जदार बदलते रहे।

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16 APR AT 20:19

निस्बतें कुछ ऐसी रही मुकद्दर से
समंदर पास था और प्यासा रहा।

न जाने कमी थी किस चीज की
सुना आमदनीअच्छा खासा रहा।

धर्मराज के किस्से कैसे अजीब हैं
जो जीतता शकुनी का पासा रहा।

किरदार निभाना है बड़ा खेल सबसे
कृष्ण या राम होना नहीं आसा रहा।

इक कशिश थी कैलाश सरोवर की
पार्वतपति शंकर लामा ल्हासा रहा।

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