लाइनों के बीच से सर उठाकर
Wisdom ने कहा...
लाईनें कम होती है
जहाॅं हम होते हैं....-
एस्ट्रोलॉजी में भी दखल रखता हूँ।
बुरा न लगे आपको ऐसी शकल... read more
ऊंचाई पर अक्सर
आदमी अकेला हो
जाता है.
रात भर सुनने वाले
सुबह हुई तो सोए हैं..
उन्होंने आना छोड़ दिया
हमने इत्र लगाना छोड़ दिया..
मौसम का तकाजा है
हो जाएंगे हरे फिर से...
शायद उन्होंने किया है याद
तस्वीरें गिली सी लगी...
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मौन मुंदी सी पलकें, अंधेरों में जो चमके।
मुख-मंडल से नूरानी मिठास सी छलके।
किन ख्यालों मे हैं खोए हुए, हुजूर-ए-हयात।
जिम्मेदारियों से दबते हैं,लोग वो हो रहे हल्के।
बेसुध हैं, आज और अभी को जी भर जीने वाले।
आज के ये पल ही है हाथ में कौन जाने हाल कल के।
सोंचते हैं वो और खुद ही मुस्कुराए जाते हैं।
दिलओजहन में हैं अहसास सुख के पल के।
स्व प्रयासों से ही होते हैं मनोरथ पूरे मन के
सिंह के मुख में भी हिरण नहीं आते चल के।-
सोलहेवें जन्मदिन पर तुझे क्या उपहार दूॅं।
जी चाहता है सारी खुशियां तुझ पर वार दूॅं।
शिव हैं सब सम्हालने वाले, भगवती संग
सोंचता हूॅं तुझे सोलह सोमवार दूॅं।
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तस्वीर दर्पण में नहीं जहन में होता है।
हम क्या हैं बाहर नहीं स्व नयन में होता है।-
चंदन दुर्वा कपूर याद आ गई
फूलों की ये रंगत मुझे भा गई
जमीन के पास जमीन के साथ
अपना कर्त्तव्य निभा गई।-
कहकशां चांद सितारा आफताब है वो।
आदमी है या ग़ज़ल की किताब है वो।
इल्म ओ इश्क से सरापा लबालब भरा हुआ।
कलंदरी जाम से छलकता हुआ शराब है वो।
एक बार कोरबा में छू गया बा-कोर मुझे जो।
कहना पढ़ाना समझाना गज़ल कामयाब है वो
जबानी कई शेर रखता है हलक में वो शायर
शिरकत करे जो मुशायरे में लाज़वाब है वो।
रंगकर पोस्टर, काग़ज़, किताब, मौहौल
रुख्सत जहाॅं से हुआ आदमी नायाब है वो।
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फूलों की मोहब्बत में
तितलियों ने जाॅं लुटा दी।
न समझे नजाकत परों की
ना-समझ ने हाथ लगा दी।
गुलशन लगता था भरा भरा
तितलियों के ही आने से,
गुल से लिपटी तितली न गिरा सके
जिन हवाओं ने दरख्तें गिरा दी।
प्रसव पीड़ा का प्रसंग आया।
तो जिंदगी के दर्द झूठे लगे।
आसान नहीं है जहाॅं में माॅं होना
तितली को जाना जीने की अदा सीखा दी..-