एक पत्ता झर गया है
एक तितली उड़ गई है
एक तारा टूटता है
एक चिड़िया मर गई है
और बंदा देखता है
ख़्वाब कल का
देखता है यह नहीं
कि जिंदगी कितनी आगे बढ़ गई है।-
तू अपनी खूबियां ढूंढ,खामियां निकालने के लिए।
लोग है ना...
रखना है कदम तो आगे रख, पीछे खींचने के लिए।
लोग है ना...
सपने देखने हैं तो ऊंचे देख, नीचा दिखाने के लिए।
लोग है ना...
तू अपने अंदर जुनून की चिंगारी पैदा कर, जलने के लिए।
लोग है ना...
प्यार करना है तो खुद से कर, नफरत करने के लिए।
लोग है ना...
तू दुनिया में अपनी अलग पहचान बना, भीड़ में चलने के लिए।
लोग है ना...
तो कुछ कर के तो दिखा दुनिया को तालियां बचाने के लिए।
लोग है ना...
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लफ्ज़ ए बयां करें तो करें कैसे
शायद उनको पसंद है तबस्सुम हमारी
कह जाते हैं अनकही बातों को ना कहकर भी
शायद इंतला है उनको हमारे मशरूफ होने की
इसलिए बतला रहे वो आजकल आईने से बाते करके-
कुछ ख्वाहिशें अधूरी ही अच्छी लगती है।
शायद उनका पूरा होना मुकद्दर मे नहीं लिखा होता
लगता है मानो कुछ तो अधूरा है अभी जिंदगी मे
मन करता है.................. फिर एक नई ख्वाहिश की तलाश मे निकलने का ।।
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ये छोटी सी जिंदगी
हमें सबक, बड़े सिखाती हैं.....
खुद का, खुद से बेहतर, साथी नहीं
हमे ये हकीकत बताती हैं .......;!!!-
शायद कुछ छूट रहा है इस बेरंग जिंदगी में।
दौड़ रहा हूं कुछ पाने के लिए मगर छूट रहा है।
एक नया एहसास एक नया अनुभव।
छूट रहा है माता पिता का सानिध्य,अनुभव
छूट रहा है घर का मोह।
इस एक नौकरी की चाह में।
बन जाते हैं अपने ही घर में चार दिन के मेहमान
इस नौकरी की चाह में।।
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JOURNEY OF LIVING:
Another year to relish,
Another year to cherish,
Another year to unleash,
Another year to furbish,
Adding a number to my age🙃
The inverted smiley is because I am ambiguous,
Whether to be elated as my age is elevating or be miserable for no longer being a kid!
I look back to my life for all that has happened, a rollercoaster ride with undulating waves, propelling ahead with a ray of hope infusing optimism at every step
I choose here's to another year of surpassing the destined path. 😊
THANK YOU GOD FOR ALLOWING ME TO SEE ANOTHER YEAR... 🙏🙏🙏-
हयात-ए-खबर होने लगी है शायद उनको हमारी
मुख़्तसर रेख़्ता से होने लगे है वो अब ।।
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रंगो की खोज मे निकला एक रंगकर्मी।
जिंदगी को इन्द्रधनुषी रंगो सा सजाने के लिए।
सोचता सजाऊगा इन इन्द्रधनुषी रंगो से अपनी इच्छाओ का रहस्यमयी संसार।
सजा लिया था उसने अपना यह अपना रहस्यमयी संसार
कर चुका था वो अपनी जिंदगी को इन्द्रधनुषी रूपी रंगो से सराबोर।
अंतत जन्म लिया फिर एक नई अकांक्षा ने, हो गया निराश रंगकर्मी।
चल पड़ा फिर पुनः एक नए रंग की तलाश मे जिंदगी को फिर से एक नया रंग देने के लिए।।
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