विनय अ.शाह🇮🇳   (विनय अ.शाह🇮🇳)
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Joined 16 April 2018


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Joined 16 April 2018

खूंटे से रस्सी छोड़ती हर स्त्री से मानो हमदर्दी भरे नजरों से गाय,भैंसों,बकरियों,ने कहना चाहा -
"हम जानवरो(स्त्रियों) का कुछ घंटों खूंटों से दूर रहकर आजादी से चरना",
तुम इंसानो (स्त्रियों) का पूरी उम्र बंदिशों में बंधकर लकीरों के बीच चलने से लाख बेहतर है।

हमारा जानवर होना,तुम्हारे इंसान होने से भी...बेहतर है😊

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उम्र,मांगती है एक लम्बी उम्र का आग में तपना,
मुनासिब नहीं है बिन मोम के जले रौशनी तक पहुँचना।😊

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एक पूरी उम्र लग जाया करती है,

उम्र के एक पड़ाव को सजाने में😊

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कभी खतों की श्याहियों में लिपटा मिलूं,
कभी आजाद शब्दों सा फिरता मिलूं।।
एक अख्स में सिमटा कभी,
कभी कई मुखौटों में फिरता मिलूं।।

आजाद बातें आजाद इरादें लिए,
पत्थर को रेत बनाता मिलूं।।
आजाद बातें,आजाद इरादें लिए,
पहाड़ों को जमीं तक झुकाता मिलूं।।

"मैं"

#Satisfied

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उसे पता है खूबसूरत दिखना,
आता है उसे नाराज होकर काली बिंदी लगा लेना।

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दुनिया जीत लेने वाला शख्स,
अक्सर अपनों से हार जाता है।।

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बड़ा भारी होता है टूट चुके सपनों को समेटना,
वो सपने जिन्हें खुद को छींट कर सींचने की कोशिशें रही हों,
बड़ा भारी होता है एक - एक करके उन्हें वापस इकट्ठा करना।
यूं भारी जैसे औलाद की लाश पिता को उठानी पड़े,
भारी उससे भी ज्यादा जब किसान उठाता है बर्बाद हो चुके फसल के कलियों को,
बहुत भारी होता है......।😊

घर टूटना भी एक बार जायज है,
जायज है इश्क में हारना भी,
लेकिन सपनों के टूटने से पहले टूट जाता है इंसान....
टूट जाती है उसकी शाखाओं- सी भुजाएं,
टूट जाता है हिमालय- सा फैला दंभ उसका,

हाँ सही सुना आपने.....
बहुत भारी होता है टूट चुके सपनों को यूं समेटना....😊

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कभी गर्म ज्वाला सा धधकता मैं,
कभी बर्फ चादर सा पिघल रहा,
कभी तैराक आंधी तूफानों का,
कभी रेत सा मैं उड़ रहा,
कभी जीत का वीर अग्रज हूं तो,
कभी हर युद्ध हारता जा रहा,
कभी प्यार सीखाता सबको हूं,
कभी खुद पर प्यार भुला रहा,

है इश्क सीखाने वाला मेरा मन,
अब खुद से वादे तोड़ रहा,
अंदर ही अंदर टूट रहे सपने,
अंदर से खोखला हो रहा,

कभी जीत लेने वाला समुंदर को,
कभी स्वतः मन में हारता जा रहा।।

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कुछ खत अब भी पुराने जो पढ़े ना गए,
नए खतों पर चढ़ने लगी स्याही है,
कुछ जख्म अब भी भरे नहीं,
पर नए जख्म अब कुरेदे जा रहे,
वो घर के बासिंदे ने मुमकिन ना समझा
पुराने आंगन को सजाना,
अब तो नए घर बनाने के सपने बुनने लगे हैं।
😊

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माँ जो बनाती है वो अच्छा होता है,
से लेकर
"माँ जो भी बनाती है बस वही अच्छा होता है"

ये समझने में जीवन का एक बड़ा वक्त निकल जाता है
😊

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