Vinu   (‌jazbaat_e_vinu)
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Joined 16 June 2020


Joined 16 June 2020
26 APR AT 0:34

रात "बीती" नहीं,
आती रही हिचकियां रातभर मगर,
आह सिसकी नहीं।

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25 APR AT 16:41

खोली है जबसे तुमने
अपने दिल की गिरह।
सता रहा है बार-बार मुझे
तेरे इश्क़ का विरह।

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25 APR AT 16:26

दिल का आना,दिल का जाना,
वक़्त इसी में गुज़र जाता है
दिल पंख लगाकर मनचला हो जाता है,
और 'इश़्क' है कि,वहीं ठहर जाता है।

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25 APR AT 15:59


पूरा इतिहास मुझे...




जाने क्यों..
एक प्रश्न चिन्ह
और
दो पूर्ण विराम

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22 APR AT 23:10

कभी-कभी डर लगता है कि,
वक्त से पहले अगर मौत आ जाए,
तो अपनों का क्या होगा...!
मेरे अपनों ने जो देखें सपने हैं,
उन सपनों का क्या होगा...!

मेरे "ना" होने से वे टूट जाएंगे
क़तरा क़तरा "और" बिखर जाएंगे
बिते हुए पल शायद लौट न आएंगे
मेरे बिना कैसे वो जी पाएंगे...!

कभी-कभी लगता है कि वो दिन कभी ना आए,
या क़यामत के वक्त सबको एकसाथ साथ ले जाएं ।

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22 APR AT 22:51

बोलावे तरी काय आता आणि सांगावे तरी किती...!
शेजारी सुंदर शेजारीण आली रहायला,संयम राखू किती...!

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10 APR AT 16:13

हर मुश्किल दौर से गुज़रकर, तुझे पाना तो था ही।
वादा जो किया था तुमसे, आना तो था ही।

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10 APR AT 16:01

समय का चक्रव्यूह,
कब रुख़ हवा का बदल दे,
कोई कह नहीं सकता।
गहरी चोट गर,
कोमल रिश्तों से लग जाएं,
तो इंसा सह नही सकता।

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3 APR AT 18:12

दिल तोड़ने वाले दिल
तोड़कर गुज़र जाते है।
वक्त आने पर अपनी ही
बातों से मुक़र जाते हैं।

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3 APR AT 18:07

एक टूटा हुआ दिल
जब रक्त रंजित होता है,
किसी भी मरहम से फिर
वो कहां दुरुस्त होता है।

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