Vinu   (‌jazbaat_e_vinu)
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Joined 16 June 2020


Joined 16 June 2020
18 HOURS AGO

मेरी तरह उसे भी कॅडबरी चॉकलेट
पसंद है ....
उसे मेरी, मेरी उसे मन ही मन लगन है।
दोनों के दिलों में ये कैसी लगी अगन है।
तुम मेरे सिंदूर, तुम ही मेरे सजन हो।

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10 AUG AT 23:08

कितना मुश्किल था पहले,
ख़ुद के लिए वक्त निकालना।
गृहस्थ जीवन के साथ,
एक अपनी भी पहचान बनाना।
चाहा तो मैं भी कुछ कर सकती हूं,
इस विश्वास को सिद्ध कर दिखाना ।
मगर अब एक जूनून और आत्मविश्वास,
चुपके से कह गया, ज़रा भी मुश्किल नहीं
कुछ कर दिखाना....

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2 AUG AT 18:15

जी चाहता है कि
तुझपर कहीं बिखर जाऊं,
सेज कांटों की ही सही
संग तेरे ही संवर जाऊं।

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1 AUG AT 18:26

सुबह के बाद
शाम होती है।
अब तो आजा के,
अब ज़िंदगी तमाम होती है।

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1 AUG AT 0:53

दग़ा देना ही तो
मोहब्बत की असली
पहचान है
तोड़ देते हैं वो मक़ा
रहते जहां दिलबर
ओ जां है।

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3 JAN AT 14:41

" मिनी"
छोटी सी, नन्ही सी, प्यारी सी मेरी मिनी।
कभी लगती वो गुड़ का ढेला तो कभी लगती चीनी।
इधर उधर भागकर कभी पंखे पर चढ़ जाती
कटोरी दूध की चाटकर मक्खन के लिए अड़ जाती।
चूहा उसके पीछे या वो चूहे के पीछे ख़ूब खेल खिलाती।
चुपचाप बैठे बिचारे मोती को यहां से वहां दौड़ाती।
है घर में सबकी लाडली, वो सबका मन बहलाती।
जानें कहां से छुप छुप के मेरी गोद में फिर आ जाती।
बनकर उसकी मां मैं प्यार से उसे सहलाती।
उकडू कुकड़ू बैठकर वो चैन की नींद सो जाती।

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2 JAN AT 14:12

" धुआं "
कितना अजीब होता है ये धुआं।
परिस्थिति के अनुसार रुप बदलता धुआं।
ये देह दहन का हो, या हवन कुंड का,
जलाती तो आँखें ही है धुआं।
घी की लौ से निकले तो काजल बन जाता है धुआं।
आग की लपटों से निकले तो बवंडर कहलाता है धुआं।
गरीब की झोपड़ी से निकलकर,
भूख मिटाता है धुआं।
सिगार से निकले तो, शान-ओ-शौकत,
कहलाता है धुआं।
कभी रुहानी, कभी रुमानी बन जाता है धुआं।
शख़्स का क़िरदार आता है नजर,छंट जाता है जब धुआं।
कभी मंदिर,कभी मस्जिद को महकाता है धुआं।
अंतिम यात्रा के वक़्त बेहद रुलाता है धुआं।

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1 JAN AT 17:36

ऐ गुज़रे हुए साल,
तेरा दिल से शुकराना।
हर मुश्किल दौर में भी रखा,
मेरा दिल आशिकाना।
आया है नया साल लेकर
ये ख़ूबसूरत सा नज़राना।
इंसा हूं, इंसान से,
इंसानियत से पेश आना।

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1 JAN AT 16:54

(प्यार... कैसे, कब और क्यों होता है)

प्यार हुक़ूमत से नहीं, क़ुदरत से होता है।
हर मुश्किल -ए-दौर से गुज़रकर होता है।

"किताब" लिख देने से मोहब्बत अमर नही हो जाती...

पल भर की ख़ामोशी में भी पूरा अफ़साना होता है।
प्यार एक बूंद शहद की,पूरा प्याला ज़हर का होता है।

अंधेरे में चिराग़ जलाने से 'सहर' नहीं हो जाती,

ये तो शनै शनै बड़ी ही शिद्दत से होता है।
ये बग़ावत से नहीं, नज़ाक़त से होता है।
एक लम्हे की हंसी, उम्रभर का रोना होता है।
अंत में जो होना होता है, वही होकर रहता है।

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30 DEC 2024 AT 0:03

पैगाम -ऐ-दिल पर तुने जबसे मेरा नाम लिखा है,
अल्लाह क़सम, गरजती बारिश में भी मुझे चाँद दिखा है।

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