कभी-कभी डर लगता है कि,
वक्त से पहले अगर मौत आ जाए,
तो अपनों का क्या होगा...!
मेरे अपनों ने जो देखें सपने हैं,
उन सपनों का क्या होगा...!
मेरे "ना" होने से वे टूट जाएंगे
क़तरा क़तरा "और" बिखर जाएंगे
बिते हुए पल शायद लौट न आएंगे
मेरे बिना कैसे वो जी पाएंगे...!
कभी-कभी लगता है कि वो दिन कभी ना आए,
या क़यामत के वक्त सबको एकसाथ साथ ले जाएं ।
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