Vinod Verma   (Vinod Verma)
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खुदको बस लफ्जो में बयान कर देता हूं,
वरना हमारी शब्दों से बनती है कहा।
Joined 4 July 2019


खुदको बस लफ्जो में बयान कर देता हूं,
वरना हमारी शब्दों से बनती है कहा।
Joined 4 July 2019
7 NOV 2024 AT 23:49

#chhotasahar
छोटे शहरो के लोग,
सपने बड़े संजोते है।

धुंधली सी इन आंखों को,
पसीने से ये भींगोते है।

ख्वाबों की इस उलझन को,
सांसों में ये पिरोते है।

अधूरा सा इश्क ख्वाबों का,
अपने संग ये, ता उम्र ढोते है।

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4 SEP 2024 AT 19:47

#kinara
जिंदगी की उलझन में, हम यूं सुलझ गए।
आते रहे गम, हम किनारा कर गए।

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4 SEP 2024 AT 14:20

#uljhan
आंखों की उलझन,
जुल्फों में उतर गई।

उस पल में,
ये कायनाथ पिघल गई।

लब रहें चलते,
पर, बाते बिखर गई।

हम देखते रहे,
वो, हस कर गुजर गई।

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15 JUL 2023 AT 13:01

# Dosti
दिन गुजारा, उम्र बढ़ी,
सपनो के सहर, सवारी चली।
कदम बढ़े, मंजिल की गली,
ना हम बदले, नाही वो घड़ी।
जो मुड़ के देखा, ऐ दोस्तों,
दूर खड़ी, अपनी यारी मिली।

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28 APR 2023 AT 8:12

#Karwate
रफ्तार भरी जिंदगी, खूब करवट बदल रही है।
वक्त की चादर, हाथो से फिसल रही है।

ये ख्वाबों की पतवार, छोटी सी पड़ रही है।
अपनो की कीमत पे, जिंदगी ख्वाब नये बुन रही है।

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13 OCT 2022 AT 18:45

# kal
बेहतर कल की तलाश में,
हम, आज कही खो जाते है।

जिंदगी के इस सफर में,
हम, अपनी राह बनाते है।

हरपल बदलती दुनिया में,
बेगानों संग, रंग जाते है।

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12 OCT 2022 AT 20:00

#Karj
कर्ज मोहब्बत का,
और खुशियां ब्याज में थी।

सौदा क्या करते मोहब्बत का,
उनकी तो मुस्कान भी उधार की थी।

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26 JUN 2022 AT 0:47

#Dwip
गैरों सा, मैं अपनो के बीच हुं।
सागर में ठहरा, एक द्वीप हु।

लहरों से, बहुत नजदीक हु।
पर किनारों के, तो विपरीत हुं।

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25 APR 2022 AT 10:10

#byankardijiye
धुंधला सा इश्क आंखो का,
अंशुओ से रिहा कर दीजिए।

लफ्ज़ जो होंठो पे आ रुके है,
सांसों से उन्हें बयान कर दीजिए।

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7 SEP 2021 AT 10:40

#Jindagi
जीने का ऐहसास, दर्द दिला ही देता है,
कोरे पन्नो में वक्त, उलझा ही देता है।

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