Vinod Pandey   (विमर्श)
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आओ फिर से दिया जलाएं....
Joined 3 May 2018


आओ फिर से दिया जलाएं....
Joined 3 May 2018
2 JUN AT 0:42

काफिलों से अगर हुकूमत हुआ करती ,
तो भेड़ और भेड़िए ही सरताज हुआ करते ।।

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28 MAR AT 10:06

"बस्ती को बस्ती कहूं तो का को कहूं उजाड़"
भारतेंदु हरिश्चंद्र।।

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21 JAN AT 9:52

चित्रकूट में करि रहे कृषि मंथन ऋषिराज,
कृषि कुंज से बनेगा सुखी समृद्ध समाज।।

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14 OCT 2024 AT 23:04

पर्दा हटाने में बहुत देर लगी,
हमें दुनिया नजर आने में बहुत देर लगी ,
नजर आता जो वैसा नहीं होता कोई,
खुदको ये बताने में बहुत देर लगी।।

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8 MAR 2023 AT 23:37

हाल ए दिल अपना बताऊं कैसे,
तड़प दिल की सबको सुनाऊं कैसे ?
वो मेरे दिल में बदस्तूर रहता है
चीर कर दिल उसको दिखाऊं कैसे ?
वो मुझसे नफरत बहुत करता है आजकल,
उसकी ये लत आखिर छुड़ाऊं कैसे ?
कत्ल करना जो चाहते हैं मेरा ,
उनको अब भी अपना बताऊं कैसे?

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21 FEB 2023 AT 22:51

कोई गिर गया तो खा जाएंगे,बस यही सोचते हैं,
ये लोमड़ी अपनी आदतों से बाज नहीं आते !
साख पर बैठे परिंदों के भी पर नोंचते हैं!!

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19 FEB 2023 AT 23:27

गुरूर किसका भी हो गुरूर टूटेगा !
आज नहीं तो कल जरूर टूटेगा !!
जो भी खुद को खुदा मान बैठे हैं !
उनके खुदाई का भरम जरूर टूटेगा!!

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17 FEB 2023 AT 1:26

जाता हूं यह सोच कर कि जल्दी ही लौट आऊंगा,
लेकिन सफर, सफर है मेरा इंतजार मत करना!!

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14 FEB 2023 AT 14:41

कुछ लोग होते हैं जो हौसला तोड़ देते हैं ;
कुछ हार कर बैठे को भी हिम्मत दिलाते हैं !
इंसान के हुनर को मौका देकर तो देखिए !
छोटे पंख से परिंदे समंदर लांघ जाते हैं!!

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12 FEB 2023 AT 21:23

हमेशा इसे डालकर चाय बनाते थे ,
सोचा कि चलो आज कुछ और बनाते हैं!!

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