काफिलों से अगर हुकूमत हुआ करती ,
तो भेड़ और भेड़िए ही सरताज हुआ करते ।।-
चित्रकूट में करि रहे कृषि मंथन ऋषिराज,
कृषि कुंज से बनेगा सुखी समृद्ध समाज।।-
पर्दा हटाने में बहुत देर लगी,
हमें दुनिया नजर आने में बहुत देर लगी ,
नजर आता जो वैसा नहीं होता कोई,
खुदको ये बताने में बहुत देर लगी।।-
हाल ए दिल अपना बताऊं कैसे,
तड़प दिल की सबको सुनाऊं कैसे ?
वो मेरे दिल में बदस्तूर रहता है
चीर कर दिल उसको दिखाऊं कैसे ?
वो मुझसे नफरत बहुत करता है आजकल,
उसकी ये लत आखिर छुड़ाऊं कैसे ?
कत्ल करना जो चाहते हैं मेरा ,
उनको अब भी अपना बताऊं कैसे?
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कोई गिर गया तो खा जाएंगे,बस यही सोचते हैं,
ये लोमड़ी अपनी आदतों से बाज नहीं आते !
साख पर बैठे परिंदों के भी पर नोंचते हैं!!-
गुरूर किसका भी हो गुरूर टूटेगा !
आज नहीं तो कल जरूर टूटेगा !!
जो भी खुद को खुदा मान बैठे हैं !
उनके खुदाई का भरम जरूर टूटेगा!!-
जाता हूं यह सोच कर कि जल्दी ही लौट आऊंगा,
लेकिन सफर, सफर है मेरा इंतजार मत करना!!-
कुछ लोग होते हैं जो हौसला तोड़ देते हैं ;
कुछ हार कर बैठे को भी हिम्मत दिलाते हैं !
इंसान के हुनर को मौका देकर तो देखिए !
छोटे पंख से परिंदे समंदर लांघ जाते हैं!!-