Vinod Kumar Prajapati   (Engineer Babu✍)
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Joined 30 September 2019


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Joined 30 September 2019
12 SEP 2023 AT 6:25

आज थोड़ा प्यार जता दू क्या,
तुम मेरी हो ये सबको बता दू क्या..

तेरी कलाई जो पकड़ लू मैं,
हाय! मेरी जान गवा दू क्या..

मेरा कमरा बहुत उदास सा है,
तेरी एक तस्वीर लगा दू क्या..

तुझे लिखने में दिन चला गया,
सोचने में रात बिता दू क्या..

तुझ पे ये जिंदगी तमाम की है,
कहो तो मेरी डायरी दिखा दू क्या..

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22 MAY 2022 AT 17:35

State Bank की मैंनेजर सी हो तुम.....
और परेशान खाताधारक सा मैं.....

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7 APR 2022 AT 19:06

सुनो… यूँ "चुप" से न रहा करो,

यूँ खामोश से जो हो जाते हो,
तो दिल को वहम सा हो जाता है,
कहीं खफा तो नही हो..?
कहीं उदास तो नही हो…?
तुम बोलते ही अच्छी लगती हो,
तुम लड़ते ही अच्छी लगती हो,
कभी "शरारत" से, कभी "गुस्से" से,
तुम हँसते ही अच्छी लगती हो,
सुनो… यूँ "चुप" से ना रहा करो।

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26 JAN 2022 AT 18:43

यूँ तेरा मेरा साथ हो
बनारस का गंगा घाट हो
शाम के हसीन नज़ारे हो
चाँद भी साथ हमारे हो
प्रकृति की हवा सुहानी हो
पक्षियों की मधुर वाणी हो
तेरी मेरी अनकही कहानी हो
हाथों में निर्मल गंगा पानी हो
कुछ वादें तेरी जुबानी हो
कुछ कसमे मेरी जुबानी हो
घाटों पर रात का सन्नाटा हो
गंगा के लहरो की गूंज हो
वहाँ हम एक ज्योतिपुन्ज हो
ऐसी ही प्रेममयी हमारी कहानी हो
गंगा स्वयं साक्ष्य जिसकी निशानी हो

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14 JAN 2022 AT 22:27

मेरे आँगन के सन्नाटे को ,
तेरी पायल की झंकार चाहिए।
झम-झम बरसते एहसास ए सावन में ,
तुम्हारा प्यार चाहिए
बस इत्तू-सा प्यार चाहिए।

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13 JAN 2022 AT 20:58

सुनो,क्या दो पल मुझसे बात करोगी?
सुनो,ज़िन्दगी के सफ़र पर तुम मेरे साथ चलोगी?
सुनो ना,मेरी कहानियों से निकल तुम रास्ते में मेरा हाथ पकड़ोगी?
सुनो ना,तुम क्यों हर वक्त जानकर भी अनजान बनती हो
कुछ सीख तुम्हें भी तो मिली होगी
कि कैसे किया जाता है प्यार
एक बार फिर पूछता हूँ
सुनो क्या तुम मुझसे प्यार करोगी?

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26 DEC 2021 AT 14:49

समय मिले तो आकर मिलना
लाइब्रेरी की टेबल पर,
कुछ न बोलेंगें हम ज़ुबाँ से
और अटकेंगे किताबों पर,
पलटेंगे पेजों को यूँ हीं
लफ्ज़ सुनेंगें हज़ारों पर,
लिखे हुए लैटर का क्या करना ?
जज़्बात पढ़ेंगे आँखों पर,
दांतों तले कभी होंठ दबाते हुऐ
मुस्कान छुपायेंगे होंठों पर,
समय मिले तो आकर मिलना,
लाइब्रेरी की टेबल पर।

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22 DEC 2021 AT 7:10

ऐसा लगा
क्यों ऐसा लगा मैंने उसे देखा
क्यों ऐसा लगा मैंने उसे सोचा
रातें ये दिन
सिर्फ उसकी यादों में
खोए रहते हैं
पर एक खामोशी की चादर में
छुपकर सोए रहते हैं
न दिखाते हैं चेहरा अपना
आंसू भी इनकी आँखों में ख्वाब पिरोए रहते हैं
आज उसकी यादें कुछ कहना चाहती हैं
मेरे इन सपनों को अपना बनाना चाहती हैं
हो सकता है देख रहा होऊंगा सपना
पर एक वही है जो लगती है अपना
प्यार तो बहुत है उससे
पर ज़िकर करना नहीं आता
याद तो बहुत आती है वो
पर दिखाना नहीं चाहता
आज उसकी आंखें दिल में बसना चाहती हैं
उसकी ये बातें मुझसे कुछ कहना चाहती हैं
हाँ, उनकी बातें बुरी लगती हैं मुझे
पर प्यार वो ताकत है
जिससे जुदा हो के जिया नहीं जाता
शायद जिया नहीं जाता

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3 DEC 2021 AT 23:19

अपनें होठों पर सजाना चाहता हूँं ।
आज तुझें गुनगुनाना चाहता हूँं ।

कोई आंसू तेरे दामन पर गिरा कर
बुंद को मोती बनाना चाहता हूँं ।

थक गया मैं करते करते याद तुझको
अब तुझे मैं याद आना चाहता हूँं ।

छा रहा हैं सारी बस्ती में अंधेरा
रौशनी को, घर जलाना चाहता हूँं ।

आखरी हिंचकी तेरे जान पर आए
मौंत भी मैं शाइ'राना चाहता हूँं ।

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28 NOV 2021 AT 7:15

तेरे चेहरे की चमक बेहिसाब,
दिन-रात इसे ही निहार रहा हूँ मैं...

तुझे खबर लगे देखने की तुझको,
इससे पहले ही नज़रें चुरा रहा हूँ मैं…

तेरे सामने दिल बदमाश बन जाता हैं बेवक्त,
इसे इंतज़ार की तस्सली देकर ही सुधार रहा हूँ मैं…

ये कैसी ख़ता तुझसे इश्क़ करने की,
इस ख़ता को खुद ही सबसे बता रहा हूँ मैं…
जिन्हें शक हैं हमारे रिश्ते को लेकर,

उन कमबख्तों का हर सवाल मिटा रहा हूँ मैं…
आसमां में देखा था मैंने कभी तुझे,
आज अपने संग जमीं पर उतार रहा हूँ मैं…

तेरे चेहरे की चमक बेहिसाब,
दिन-रात इसे ही निहार रहा हूँ मैं…

तुझे खबर लगे देखने की तुझको,
इससे पहले ही नज़रें चुरा रहा हूँ मैं…

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