एक तरफ सपने हैं। एक तरफ हकीकत है। बीच में जीवन की मजेदार है। एक व्यक्ति जो दोनों का पर सवार है। जब सपनों के पीछे , भागे तो हकीकत आईना दिखाती है। और हकीकत के पीछे भागे, तो सपने रास्ता रोकते हैं । गजब कशमकश है । जीवन की जिसके पीछे , हंसी कहीं गुम हो गई है । क्या इसी का नाम जिंदगी है।
जीवन का कड़वा सच है (दूसरे पर आँख बंद कर के भरोसा करना) जिंदगी या व्यापार खुद पर ही भरोसा करें दूसरे पर करो गे तो , जिंदगी में रोने ,के सिवाय ओर व्यपार में हानि, के सिवाय कुछ नही मिलेगा।
दुनिया की मत सुनो , दुनिया की सोच पल पल बदलती है । यदि आप दुनिया की सुनते हो तो , आप एक कटपुतली हो , जिसकी डोर दूसरे हाथो में है। {●कवि कुमार सूर्यवंशी●}
दिल मे बड़ी हालचल सी हो रही है। मानो दिल मे कोई तूफान आया है । पता नही क्या होगा हम दोनों का, दिल मे यही ख्याल आया है। कर रही आँखे भी बगवत , तेरे दीदार को बेचेन है। विनोद कुमार सूर्यवंशी
कर रहा गुनह में भी तुझे चाहने का पर हमें तो यकीन है की हम मिलेगें आप पर उसे आज भी सक है तभी तो बोला कि क्या पता क्या होगा आगे क्या क्या यही प्यार है विनोद कुमार सूर्यवंशी