Vinod Dighe   (Vinod Dighe_अनघ)
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Joined 15 April 2018


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Joined 15 April 2018
16 FEB AT 5:25

हर ख्वाबों कुचला...
हर ख्वाईश को तबाह किया
माना कि कई गुन्हा किये थे हमने
मग़र...
तुम ने भी तो... जुल्म कम ना किया....

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14 NOV 2022 AT 0:53

जब...तुम्हारा होता हूँ ना....
तब....किसी और का, नहीं ह होता हूंँ, मैं...

खौफ़ इस बात का भी है
की तू अपना ना ले मुझे...
और डर इस बात का भी
की, तेरा हुए बग़ैर ना मर जाऊ.....मैं..

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6 NOV 2022 AT 1:59

बडे सलीके से रखता हूँ हर बात अपनी
का मतलब ये तो नही की मुझे दर्द नही होता

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6 NOV 2022 AT 1:36

तुझे चाहने की कोई एक वजह नहीं हैं...
मेरे पास
बेवजह..... तु मेरी हर सांस में समायी हैं

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30 SEP 2022 AT 17:30

हर शाख गुरूर में रहने लगी
तो सब्र जड़ों का छुटने लगा
हर दीवार गुमाँ करने लगी
तो एक आशियाँ टूटने लगा

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12 SEP 2022 AT 12:57

कितने काश हैं जिंदगी में
कितनी प्यास हैं जिंदगी में
अंधेरा हररोज,
तोड़ने आता हैं, हौसला मेरा...
एक तेरी याद,
मुझे समेटे रखती हैं
कितनी आस हैं जिंदगी में...

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11 SEP 2022 AT 1:39

तेरे इंतज़ार में हूँ...
ये दिन रात
सुबह - शाम
महीने -साल
और शायद
जिंदगी मौत से परे...
बेवजह...
बेहिसाब
बेमतलब
बेपनाह
बस.....तेरे प्यार में हूँ..
तेरे इंतज़ार में हूँ...

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11 SEP 2022 AT 0:28

तेरी कहानी
मेरी कहानी है
आज इसकी ज़बानी हैं
कल उसकी जबानी हैं

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11 SEP 2022 AT 0:24

यूँही छोड़ देता हूँ काफीं सारी बातों को
ये सोचकर की...
की गर छुट रही है.... तो अपनी कभी नही थी

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6 SEP 2022 AT 5:09

दिनभर नकाब पोश रहें
कहतें फिरें......हमने जिंदगी सवार दी
फ़िर हथेली पर चाँद लिये
आहें भरे......हमने सारी रात गुजार दी

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