किसी गांव या शहर का अस्तित्त्व
सड़क के बिना सिफर है,
लेकिन उसकी उदासी
समझना मुश्किल है,
क्या क्या नहीं सहते वह?
इंसान ने फेकी गन्दगी,
और हर रोज की खुदाई,
लेकिन आजकल सड़के
कुछ ज्यादाही मायूस है,
शायद जात-पाँत,
धर्म के नाम पर
निकले जुलुस से
कुछ ज्यादा आहत है l
विनोद बिडवाईक- Vinod Bidwaik
9 FEB 2020 AT 21:12