आँखों में रात ख्वाब था, सुबह होते ही टूट गया
दिल के बेहद करीब था जो, लगता है वो रूठ गया-
बिखरते रिश्ते और कमजोर अहसास
की वजह लफ्ज बन रहें हैं
काश,रिश्तों पर लफ़्ज़ों का मरहम लगा पाते
आपसी व्यवहार को विवेक पूर्ण सम्भाल पाते
दिल पे दस्तक दे सके,वही लफ्ज़ बोल पाते
बेतुकी लफ्ज़ो से दूर और दुखे न दिल किसी का
लफ़्ज़ों में प्यार खोल पाते
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श्याम तेरे एहसान बहुत हैं
एक छोटा सा और कर देना
सर पर तेरा हाथ रहे सदा
मेरी विनती आप सुन लेना
कई जन्मों का बोझ है भारी
हल्का, कृपा से कर देना
भक्ति का भाव मन में हो जाए
ये एहसान कर देना
बृज की रज में मिल जाऊ मैं
रज चरणों की श्याम
मेरे माथे लगा देना
-@vinita
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जब वक़्त साथ नहीं देता हैं
बुद्धि भी भ्रमित हो जाती है
रस्सी का साँप नजर हमें आता हैं
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प्रीत हुई मनमीत से, लकीरों में कोई और
बेरी मन माने नहीं, किसको दो ये फूल-
रहबर की तलाश में भटक हुआ है दिल
सच से दूर हो रहा झूठ के हुआ करीब
धर्म का हाथ थामा,जब से रहबर मुझे मिल गया
वाकिफ सच से हुआ,मार्ग सच्चाई का खुल गया
धूप, छाँव से मेरा रिश्ता, सूरज मन में चमक रहा
रहबर बना मैं खुद का ही, मन समन्दर बन गया-
मुझे महफूज़ रखती हैं
गुज़रती हैं मेरी साँसों को छूकर
जब मुझे तरोताज़ा करती हैं-
हर पल तेरा ध्यान करुँ,
चाहे कार्य करुँ या विश्राम करुँ
दोनों हाथ जोड़ प्रणाम करुँ
आदियोगी हमारी विनती सुनना
सत्य का हमें दर्शन करवाना
धर्म के मार्ग से अवगत कराना
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