वो तन्हाईयों का शहर है हबीब
वहां इश्क की नज़्में नहीं सोया करती ।-
चलो दिल की आतिश भूलाकर
आतिश का शहर बुझाते हैं
जो गमगीन हैं हयात ए आबादी से
उन्हें जन्नत की राह दिखाते हैं ।-
हमने चांद को अक्सर अपनी खिड़की पे आते देखा है
उसे भी किसी के इश्क में मुस्कुराते देखा है ।-
इस तिलिस्म की दुनिया में वो अपनी खोई रूह ढूंढते हैं।
जो कैद है तिलिस्म के मैखानों में उसके लिए जन्नत का ख्वाबगाह ढूंढते हैं।-
हमने सितारों से अपना ग़म छुपाना सीखा है ।
आसमान से टूटते भी अंधेरे बुझाना सीखा है ।
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वो जो आंखों में समंदर बसाए बैठें हैं
आज भी किनारों की कश्तियाँ डूबाए बैठें हैं ।
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एक चांद सी मोहब्बत करनी है हमें
सितारों को तो मोहब्बत में अक्सर टूटते पाया है ।-
अक्सर सितारों को बारिश में भीगते पाया है
उन्हें भी चांद की रौशनी से शरमाता पाया है ।-
एक दिन हम भी एक खयाल हो जाएंगें
रौशनी हमें सितारों में बुलाएगी और
हम भी उसमें खो जाएंगें ।-