चाहत है अगर तुम्हारी सच्ची बांधना न डोर तुम कच्ची नहीं तो खो दोगे उसे जिसके लिए तुम हो दिन रात तरसते देर न कर देना उसे बताने में जिसके लिए करते हो तुम सजदा उपर वाले से।।।
मैंने रोज़ लोगों को मरते देखा है सपनों की आंधियों में आंखों को भीगते देखा है पैसों के बाज़ार में आत्मसम्मान को बिकते देखा है इस चका चौंध भरी दुनिया में आम आदमी को पिस्ते हुए देखा है