फिर सावन आया,क्यूं ना कश्ती कागज की एक बनाएं,
दिन पुराने बचपन के ताजा कर,पानी में इसे चलाएं।
बरसें जब बादल और यह धरती महके गीली मिट्टी से,
शुष्क हुए अपने हृदय को, मीठी यादों से भिगोएं।-
✒️ Homemaker
लौट कर आएं सब घर को, ऐसा सफ़र हो,
अंतिम ना बन पाए सफ़र, ऐसा सफ़र हो।
अश्कों को बहाने से,जख्म भरते नहीं किसी के,
इसलिए पल में न उजड़े जहान,ऐसा सफ़र हो।
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मेरे हृदय के जज़्बातों का बस तुझको एहसास है
धड़कने अपनी महसूस करने को यह ख्याल मेरे पास है-
जिसे तुम चाहो,उसे न पाकर भी सुकून है
दिल में उसके यदि,बिन तुम्हारे भी चैन है-
क्या करेंगे उस अंजुमन में हम जाकर बार-बार
तेरी बेरुखी का जिक्र जहां होता नहीं बार-बार
दिखाई देता है तन्हाई का अंधेरा ही केवल वहां
क्यूंकि आशनाई का चिराग जलता नहीं बार-बार-
काश, मैं फिर से छोटा बच्चा बन जाऊं,
मां की गोद में,जन्नत सा सुख पा जाऊं।
सुरक्षित रहूँ ,आशियाने में आंचल के,
जग के मसलों से दूर रहूँ,कहीं ना जाऊं।-
क्या है वो, जिससे तू घर-आंगन महकाती है
और कैसे मां,तुझे दर्द हो तब भी मुस्कुराती है-
एक 'मां' शब्द में, ममता की पुस्तक है समाई,
जिसके अर्थ की गहराई,कलम न समझा पाई।
प्रेम, समर्पण की परिभाषा,सुंदर लिखाई ,
वात्सल्य का पाठ,हर विषय की भरपाई।
मां के लिए,कोई एक ही दिन नहीं, मेरे भाई!
इस तोहफ़े के नहीं बराबर,सारे दिनों की कमाई।-
क्यूं करते हो चांद,सितारे आसमां के
या टूटे तारे की कोई बात
मोहब्बत की जमीं पर हमारी
होगी केवल दिल की दिल से बात-
जब से हुए हैं, हम तुम गैर
अपना सा, नहीं लगता कोई और
जी रहे हैं, पर जी नहीं लगता
ख़्वाब आंखों में,नहीं बसता कोई और-