Vinit tripathi   (हश्र)
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Joined 5 May 2018


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Joined 5 May 2018
25 AUG 2024 AT 20:37

आसान है तेरी यादों के साथ दिन गुज़ार देना,
फिर भी कभी मन न लगे तो मुझे पुकार लेना ।

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16 AUG 2024 AT 22:18

सीने से लगाना भी है, और डर भी लगता है,
एक उम्र न लग जाए, खुद से अलग करते हुए ।

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11 AUG 2024 AT 15:20

मैं हवाओं पर बोसे चिपका कर भेजूंगा ,
तुम बारिशें समझ के भीग जाना ।

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10 JUN 2024 AT 16:01


मैं तो वहीं हूं जहां तुम छोड़ कर गए थे "हश्र",
आते जाते लोगो से सुना है की साल गुजर गए ।

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8 JUN 2024 AT 1:36

तुम किसी के साथ भी हो और खुश भी हो,
इस बात पर यकीन ये दिल कर नही पाता।

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15 MAY 2024 AT 20:59

रह के गया वो इस घर के साथ भी तो "हश्र" ,
मेरे अलावा यह घर भी तो बिखरा ही है ।

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28 APR 2024 AT 1:25

जिंदगी आ तेरे नाम की चिलम बनाये,
दो सांसें खींचे थोड़ा सीने को सुलगाए ।

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19 APR 2024 AT 13:21

बहुत गर्मी थी,
मुंबई की लोकल,
और उसके दरवाजे पर खड़ा मैं,

एक टिश्यू पेपर जिसे मैंने पिछले आधे घंटे से अपने साथ रखा था,

मुट्ठी ज़रा ढीली क्या हुई टिश्यू पेपर हवा में आज़ाद हो गया,
और मुझे ख़याल आया रिश्तों में मजबूत पकड़ का,

हम बस लोगो को रिश्तों में अपने जरूरतों से बांधे रखते है,
उन्हें खुला छोड़ देना अच्छा है।

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1 APR 2024 AT 0:44

हम पर इल्ज़ाम लगा कर खुश तो हो?
"फरेबी" नाम लगा कर खुश तो हो?

हमारे शहर में मयखाने नही हैं खैर
तुम कहीं जाम लगाकर खुश तो हो ।

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1 APR 2024 AT 0:33

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