कामों को कुछ इस तरीके से किया करो ! की छोटी-छोटी बातों में भी जिंदगी को जिया करो ! और कहां ढूंढने जाओगे अमृत के स्वर्ण कलश, तुम तो बस तपती धूप में मिट्टी के घड़ों से पानी पीया करो !
वैसे तो प्यार की हर गली से मैं, बचकर निकलता हूं ! पर एक तू ही है जिसके आगे, मैं पिघलता हूं !! न जाने क्यूँ तेरी हर बातों को, अपनी पलकों पर सजाकर रखता हूं ! शायद इसलिए क्योंकि जब जब तू हंसती है, बस तब तब मैं हंसता हूं !!
ना जाने क्यों कुछ अपने ही, ऐसे दिन दिखलाते हैं । वीरों के सम्मान की जगह , उन्हें ही आंख दिखाते हैं। हाथों में किताबों की जगह, बारूद को गले लगाते हैं । मैं पूछना चाहता हूं ऐ खुदा, क्या! ऐसे लोग जन्नत में जाते हैं।
बीते साल में हमने भी कई मौज लगाए हैं ! कहीं दिल उगाए हैं, तो कभी घाव भी गहरे खाए हैं ! अब आने वाले साल से भी आंख मिलाना है ! जिंदगी की वही काली तख्ती पर नई चौक चलाना है !
मुझे सुने बिना ही चल दिए हो तुम, पर 'सदा' तुम्हें मेरी ही आएगी ! दिल खोल कर मिल लो दुनिया से, पर याद तुम्हें मेरी ही आएगी ! मुझे भी कम मत आंकना तुम अपने पैमानों मे, समझ तुम्हें भी आएगी ! दाना बिछा दिया है मैंने भी और दावा है मेरा, चिड़िया दाना चुनने जरूर आएगी !