Vineet Singh  
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Joined 5 April 2020


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Joined 5 April 2020
11 HOURS AGO

वो कैसी दिखती है ये पूछते हो तुम..
मानो कोई सूरज से कहे, तेरी रोशनी की हद बता दे हम..
उसकी आँखें... जैसे शांत झील की सतह पर गिरी चाँदनी
हर नज़र में एक कहानी हर पल में कोई रूमानी सी रवानी

उसके बाल… काली घटाओं की मानिंद
जैसे रिमझिम बरसात से पहले की
चुप्पी भीनी, भीनी, गहरी, और नम..
उसका चेहरा… मानो चाँद खुद आईना देखे उसमें
जैसे फूलों की पंखुड़ियाँ भी शर्मा जाएँ उस नर्मी से..

उसकी मुस्कान…
जैसे किसी सूनी सुबह में पहली धूप,
जो सीने को गरमाए भी, और रूह को सुकून भी दे..
वो जब चलती है
जैसे कोई रागिनी चल पड़ी हो पायल बाँध के,
हर क़दम पर ज़मीन भी खुद को खुशनसीब माने..
और उसकी बातों में
जैसे पुराने वक़्त की कहानियाँ हों
सजीव, जादुई, और दिल को छू जाने वाली..

वो सुंदर है
हाँ, मगर वो सौंदर्य से भी परे है
क्योंकि उसका रूप केवल आँखों से नहीं,
दिल से महसूस होता है..😌💕🌹

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3 JUN AT 1:10

जो देख न सके कोई वो जज़्बात
उस नज़र में छुपे
चाहत की वो अग्नि जो बुझती नहीं
आँधियों से लिपटी हुई..
कभी उसकी आँखों से गिरा
एक आंसू भी
हजार जज़्बातों से भारी..
समझो उस दर्द को
जो लफ़्ज़ों में कह पाना हो
बहारों से करीब भारी..
चाँद से नहीं उसके अंधेरों से बात करो..
क्योंकि रौशनी तो सबको दिखती है
पर जो छिपा है वही सच्चा एहसास है
उसी में इश्क़ है उसी में तलाश है..!!

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2 JUN AT 21:44

मैं इश्क़ को इश्क़ लिखूं या चाँद
दोनों ही रौशनी भी हैं तन्हाई भी।
एक रोज़ के बाद छुप जाता है
और एक… हर दिन और गहरा हो जाता है..

मैं इश्क़ को तुम्हारी याद लिखूं या ख़ामोशी
तुम जैसे लफ़्ज़ हो मिल जाओ तो अधूरे लगते हो
और ना मिलो तो पूरी किताब बन जाते हो

कभी तुम चाँद की तरह चमक जाते हो
कभी मेरी आँखों में अश्क़ बनके रुक जाते हो
मैं हर रोज़ तुमसे मिलता हूँ अपने अंदर
पर हर रोज़ तुमसे दूर चला जाता हूँ वक़्त की गलियों में

मैं इश्क़ लिखता हूँ पर तुम निकल जाते हो
मैं तुम्हें लिखता हूं तो इश्क खुद में खुद लिख जाता है..!!

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2 JUN AT 12:35

He was the kind of boy who carried storms behind his eyes not the kind tht scream but the kind tht stay silent nd flood everything within..
No one really noticed the weight he held
he spoke little, laughed on time, nodded when needed..
But inside he was drowning not bcos of some grand tragedy but becos life had been quietly unkind in a thousand smll ways..
Every failure felt personal, every success fleeting, like sand slipping through fingers too tired to try again..
He wanted to scream sometimes not for help but just to know his voice still mattered..
But silence had taught him survival nd so he remained quiet, even as the world mistook his stillness for strength..
In truth, he wasn’t trying to be brave he was just trying not to disappear completely..!!

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24 MAY AT 20:49

भीड़ में चल रहा हूँ मगर साथ कोई नहीं..
हर चेहरा पहचाना सा लगे पर पास कोई नहीं
बचपन की गलियों से लेकर आज की मंज़िल तक
हर मोड़ पर टूटा हूँ बना हूँ मगर खास कोई नहीं..

जिससे दिल की बात कहूँ वो लफ्ज़ अब खो गए
जो सुने बिना भी समझे वो रिश्ते अब सो गए..
आँखें भी भीगती हैं अब बिना वजह हर रात
मगर चुप्पियों की इस दुनिया में आवाज़ कोई नहीं..

कभी अपना कहकर जो दिल में समा गए थे
वो ही सबसे पहले भूल के चले गए थे
अब तो साया भी डरता है साथ चलने से
इतनी तनहाई है कि परछाईं भी दूर रह गई..

हर सुबह सोचता हूँ शायद आज कोई अपना हो
पर शाम ढलते ही लगता है कोई अपना नहीं..!!

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22 MAY AT 14:48

We chase after happiness running fast and far..
Yet the simplest moments slip by like a fading star !!

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19 MAY AT 20:51

Jab life syllabus ke bina exam leti hai
tab hum hasi mein philosophy dhoond lete hain !!

Continue in caption..


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18 MAY AT 23:24

कुछ है कुछ नहीं...
जो दिखाता हूँ वो मैं नहीं..!!

Continue in caption..

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13 MAY AT 23:57

हर मुस्कान के पीछे तन्हा सा आलम है
फिर भी अकेलेपन का इल्ज़ाम क्यूँ हर बार मेरा नाम है?

लोग कहते हैं तू अकेला रहना चाहता है
पर कौन समझे, भीड़ में भी अक्सर मन का कोना सुनसान रहता है..

सन्नाटों से मोह नहीं
बस शोर में खुद को खो देना अब गवारा नहीं
ख़ामोशी मेरी आदत नहीं, ज़रूरत बनी है..
हर बात में घुली हुई दुनिया की साज़िशें सुनी हैं।

अकेलापन कोई चुनाव नहीं
बल्कि वो आईना है
जहाँ हर रिश्ते की परछाइयाँ साफ़ नज़र आती हैं

मैं अकेला नहीं हूँ, मैं बस थका हूँ
मजबूरियों की नक़ाब में छिपे चेहरों की भीड़ से
झूठी हँसी की तिलिस्मी दीवारों से
और कैसे हो? जैसे बनावटी सवालों से

मत कहो मुझे तन्हा
मैं अपने ही साए में एक जहाँ बुनता हूँ
जहाँ ना दिखावा है ना मजबूरी
बस एक सच्चा मैं हूँ और मेरी दूरी..!!

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12 MAY AT 14:11

एक सदी नहीं, एक युग का नाम था विराट
जिसकी हुंकार से काँप उठते थे मैदान के बात..
ना सिर्फ़ रन,उस जुनून की थी पहचान
टेस्ट की तख़्तगाह पर बैठा था जो शेरों का सरताज

अब विदाई है पर कहानी अधूरी नहीं
वो इबारत लिख गया है जो मिटेगी कभी नहीं..!!

Virat Kohli.. not just a name on the Test sheet, but the heartbeat of an era… kings may retire, but their legacy plays on forever..!! ✨

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