एक सफर है तेरा, कई रास्तो का
कभी फूल भी थे, कभी काँटे भी उसमे
तू चलता रहा उनमे बिना डगमगाये।
कईयों ने खड़ी की मुश्किलें उन राहो मे
तेरी शख्सियत ने डटकर किया मुकाबला उनका
तभी तो तेरा ये राह-ए-सफ़र आज भी बढ़ रहा है शान से
अपनी राह-ए-मंजिल की तरफ।
काबिलियत एक शब्द है, तेरे पास इसका ज़ख़ीरा है
तू समंदर का किनारा है और कश्ती की पतवार भी
तभी तो तेरी नाव चल रही है बिना डगमगाए
उन भंवरों मे भी, जिनमें लोग डूब जाते हैं अक्सर।
जिम्मेदारी एक साथ है जिंदगी का
और निभाया तुमने इसे पूरी शिद्दत से
हम भी थे उसमे, साथ ही कुछ और लोग भी
सबका पूरा किया सपना तुमने और साथ-साथ अपना भी।
जो चाहा तुमने अपनी इस मंजिल मे, पा लिया
चाहे तुझे लड़ना पड़ा जमाने से भी
नाम भी है तेरा, शोहरत भी
फिर भी है तू मर्ज़ी का मालिक अपने।
सोचते हैं हम भी, काश हो पाते जैसे तेरे
शायद कभी वो मुक़ाम आये तो ईश्वर का होऊंगा शुक्रगुजार मैं।
लेकिन अभी तो बस इतना ही कहना है उससे
कि तेरी शख्सियत को करे मजबुत इतना
कि बढ़ता रहे तू अपनी मंजिल की ओर ओर जोश से।
#vindiaries....-
जब भी मुझे लगता है यूं कि अब मैं हार जाऊँगा तुम्हें
तुम सामने से आकर मुझे अपनी बाहों में भर लेती हो।
#vindiaries.....-
गर हम ग़लत नहीं थे तो मेरे माज़ी में ग़लत है कौन
वक़्त ने करवट बदली, तुम सोये रहे तो ग़लत है कौन?
किताबें एक अरसे तलक बस्ते में धूल फाँकती रहीं
इम्तहान में जब छूटने लगे पसीने तो ग़लत है कौन?
अपनी नादानी में बड़ो की कभी एक ना सुनी तुमने
ठोकर लगी, ज़ख़्म नासूर पड़ गया तो ग़लत है कौन?
बटुए में पैसे थे तो दोस्तो की महफ़िल जमा करती थी
आज कोई हाल भी पुछने वाला नहीं तो ग़लत है कौन?
अपनी ग़लतियों पे ख़ुद डाल पर्दा बेपरवाह बने रहे तुम
तुम्हारी ग़लतियाँ अब गुनाह बन गयी तो ग़लत है कौन?
#vindiaries.....-
बेचैनियों से मेरा रिश्ता यूँ तो आज भी है वहीं
भटका हूँ ताउम्र आज उसके साथ का है यकीं।
जब कभी पूछा क्या मेरी मोहब्बत में है कमी?
जवाब मिला मेरी हसरतें इतनी भी बड़ी हैं नहीं।
ख्वाबों के पर कतर क्या है तुम्हारा मन दुःखी?
नहीं, तुम्हारी मुसकुराहट में है मेरी दुनिया बसी।
सोचा नहीं था इश्क आँगन में बरसेगा यूँ कभी
ये तो ख़ुदा की नेमत है जो मिली है मुझे खुशी।
बेचैनियों से मेरा रिश्ता यूँ तो आज भी है वहीं
भटका हूँ ताउम्र आज उसके साथ का है यकीं।
#vindiaries.....-
मैं तुम्हारी ख़ामोशी सुन क़तरा-क़तरा ख़र्च हो रहा हूँ
मर्ज़ ज़ाहिर है पर तुम्हारे सामने इश्क़ से मुकर रहा हूँ।
यूँ तो हूँ हँसता-खेलता पर अंदर से सुर्ख़ हो रहा हूँ
मैं पहले नहीं था ऐसा पर अब कुछ और हो रहा हूँ ।
एहसासों को तकिये पे सुला पिघलता बर्फ हो रहा हूँ
अपने हीं हाथों ख़ुद के सीने में घोंपा ख़ंजर हो रहा हूँ।
ख़ुदा की नेमत से हर गुज़रे लम्हें में और बुज़ुर्ग हो रहा हूँ
मोहब्बत के खेल में अब मैं भी प्यादे से वज़ीर हो रहा हूँ।
मैं तुम्हारी ख़ामोशी सुन क़तरा-क़तरा ख़र्च हो रहा हूँ
मर्ज़ ज़ाहिर है पर तुम्हारे सामने इश्क़ से मुकर रहा हूँ।
#vindiaries.....-
तुम पूछोगे तो शायद इन्कार कर जाऊँगा मैं
क्यूंकि मेरे इश्क़ में इकरार की जगह नहीं है।
#vindiaries.....-
समय की गति एक है और ना हीं है इसका कोई आकार
सम्भव नहीं संग्रह इसका, साथ चलें तो होंगें सपने साकार।
स्वयं प्रबंधन में हीं छिपा है समय-प्रबंधन का सार
संकल्प के धनी बनो फिर होगी तुम्हारी जयकार।
स्वास्थ्य समय का कोष है, शरीर हीं है जीने का आधार
संस्कार, संयम और सृजन से होता नव चेतना का संचार।
स्थिति भाँप समय की करो तुम अपनी सारिणी तैयार
सतर्क रखो मष्तिष्क को क्यूंकि मन है बड़ा मक्कार।
समझ रखो तुम भविष्य की क्यूंकि जीवन तो है एक उपहार
समय होगा तुम्हारी मुट्ठी में गर कर पाये आलस्य का संहार।
#vindiaries.....-
ख्वाहिशों का कारवाँ, यूँ हीं कभी थम जायेगा,,
जब ना रहेंगी साँसे और मैं कहीं खो जाऊँगा..!!
ना होंगी फिर चाहतें, ना होंगी फिर इबादतें,,
ना लिखी जायेंगी आयतें, ना होंगी फिर शिकायतें..!!
ना, फिर मैं तुम्हारा इंतजार करूँगा,,
ना, फिर मैं तुमसे इकरार करूँगा..!!
मेरी मोहब्बत मुझमें हीं सिमट के रह जायेगी,,
और मेरी रूह भी मुझे छोड़ चली जायेगी..!!
ख्वाहिशों का कारवाँ, यूँ हीं कभी थम जायेगा,,
जब ना रहेंगी साँसे और मैं कहीं खो जाऊँगा..!
#vindiaries.....-
अंधेरे में यूं हीं तो नही वक़्त का पता चलता
नींद घड़ी तकती रहती है कुर्सी पर बैठ कर।
#vindiaries.....-