बस इसी line पर दुनिया टिकी हुई है
हर किसी की आश लगी हुई-
Jise tum kbi sochte hi nahin
मंजिल को सफर की तलाश है,
सफर को मंजिल की
मंजिल और सफर दोनों में ही घमासान युद्ध है,
सफर मंजिल को पाना चाहता है,
और मंजिल है कि सफर तय करना चाहती है ....-
मैने भी एक वहम पाला है
रेत को अपनी मुट्ठी में बांधा है ..
जानती हूं मुट्ठी में रेत नहीं है
मुट्ठी को बंद आंखों से देख कर
खुद को बस जिंदा रखना चाहा है ..-
और फिर हमने सब कुछ मान लिया....
जो इल्जाम हम पर लगाए गए ..
जो तुमने किस्से मुझे सुनाए..
एक झूठ भरे प्यार के ..
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कोई पूछे...
क्या नाम है तेरा, क्या जाति है तेरी ..?
कौन सा क्षेत्र है तेरा कौन सी भाषा है तेरी ..?
क्यूं आई तू क्या काम है तेरा यहां ...?
कोई बोले आवारा है तू कोई बोले बंजारा है तू..
कोई बोले शादी ब्याह का क्या ठिकाना है..?
कोई बोले घरवालों का क्या कहना है ..?
जवाब मेरा जब खुद समझ न पाऊं ..
एक ही उत्तर में दे आऊं..
मुस्कान नाम है मेरा , हिंदू जाति है मेरी ।
भारत क्षेत्र है मेरा , हिंदी भाषा है मेरी ।
मुस्कुराना मेरा काम है , खुशियां लेने आई मैं यहां ।
आवारा हूं बंजारा हूं, शादी ब्याह क्या रचाना।
पूरा हिंदुस्तान ही घर है मेरा ।
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अक्सर खुद से की गई उम्मीद
जब टूट जाती है
तब एहसास होता है
जिसके लिए यह उम्मीद की थी
वही हमे गिराने की कोशिश कर रहा था-
हर चीज का कोई न कोई कारण होता है
जो होता है अच्छे के लिए होता है
ऐसे ही हर बार
हर बात के लिए कोई न कोई बहाना होता है-
अपने सपनो को छोड़
पाई पाई को मोहताज होकर
जीवन की मंजिल समझ जिसे सींचा
आज एहसास हुआ
वो तो किसी और का ही घरौंदा है-
समाज में बेटियों का अपने पिता और भाई के पैर छूना पाप है ... क्यों..?
वही बेटियां जब किसी की बहू किसी की पत्नि बनकर पति के भाई के या पिता के पैर न छुए तो वह संस्कारी नहीं ... क्यों ???
बहू बनने के बाद क्या वह बेटी नहीं रही क्या वह एक बहन नहीं रही...???
यह दोहरा समाज क्यों ..?
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