20 MAY 2018 AT 0:27

याद नहीं हैं कितने सपने ,
दफना दिए मैंने रात के सूनेपन में।

एक रात ही तो है जो मेरी,
हमसफ़र रही है मेरे अधूरेपन में।।

VSG

- Vinayak s gautam