याद नहीं हैं कितने सपने ,दफना दिए मैंने रात के सूनेपन में।एक रात ही तो है जो मेरी,हमसफ़र रही है मेरे अधूरेपन में।। VSG - Vinayak s gautam
याद नहीं हैं कितने सपने ,दफना दिए मैंने रात के सूनेपन में।एक रात ही तो है जो मेरी,हमसफ़र रही है मेरे अधूरेपन में।। VSG
- Vinayak s gautam