गले मिलना ना मिलना तेरी मर्जी है लेकिन,
तेरी बातों से लग रहा है तेरा दिल कर रहा है।।
तहजीब हाफी-
अपने शब्दों को पिरो कर,
उसके लिये यादों का गजरा बनाना है,
उसके दिल में उतरने की मेरी चाहत नहीं,
बस उसकी लंबी ज़ुल्फ़ों में,
मैं हमेशा के लिये बस जाना चाहता हूँ ।
VSG-
कुछ रिश्तों को,
नाम और पहचान नहीं चाहिये होता,
वो अपने आप में पूर्ण होते हैं,
जैसे प्यास और पानी।
कुछ रिश्तों को,
किसी का साथ नहीं चाहिये होता,
वो अपने आप में पूर्ण होते हैं,
जैसे प्रेम।
प्रेम की प्यास में,
प्रेमी का पानी बन जाना,
कर्तव्य के भेष में,
प्रेमी पर डाला गया बोझ है,
प्रेम में बोझ नहीं होता।
प्रेम में बोझ नहीं होना चाहिये।
VSG-
इंतज़ार है...
मेरा रक़ीब बन बैठे तुम्हारी ख़राब तबियत का तुमसे दूर जाने का ।
इंतज़ार है...
ट्रेन से उतरकर तुम्हारे शहर में एक लम्बी सुकून भरी साँस लेने का।
इंतज़ार है...
दो शहरों में धड़क रहे दिलों का पास में होकर और तेज़ धड़कने का।
इंतज़ार है ...
तुम्हारी पर्फ्यूम से मेरे साइनस का थोड़ा और बढ़ जाने का
इंतज़ार है...
तुम्हारे हिस्सें का शहर और मेरे हिस्से के शहर के एक हो जाने का।
इंतज़ार है ...
इस इंतज़ार... के ख़त्म हो जाने का ...
VSG-
प्यार इकलौती ऐसी चीज़ है जो किसी से ज़बरदस्ती नहीं करवाया जा सकता। वो या तो होता है या नहीं होता। एक लंबे अरसे तक मैं यही सोचता रहा कि काश तुम्हें भी मुझसे वैसा प्यार हो जाए जैसा प्यार मैं तुमसे करता हूँ। लेकिन फिर तुमने मुझे प्यार का एक दूसरा मायना समझाया जो कि प्यार जितना ही ख़ूबसूरत था दोस्ती। अगर दोस्ती सच्ची हो तो प्यार जितनी ही, और कभी-कभी उससे भी ज़्यादा खूबसूरत होती है। इस बात को तुम ने मुझे समझाया। हाँ, ये बात और है कि आज भी दिल में कहीं ना कहीं एक कसक बाक़ी है, कहीं दिल के किसी कोने में एक छोटा सा मलाल रह गया है कि काश हमारा रिश्ता दोस्ती से थोड़ा ऊपर होता लेकिन तुम हमेशा कहती हो कि हमारा रिश्ता दोस्ती से ऊपर ही है, फिर भी ना जाने क्यों उसे प्यार का नाम नहीं देती।
ख़ैर,,,,,,,,,,-
After every conversation
Me-emitional ho gya yar kya kru?
She-ho jao mai bhi ho jati hun.-
मैं उसे एक बार गले भी नहीं लगा पाउँगा,
आखिरी मुलाकात तक वो किसी और का हो चुका होगा।।
VSG-
उसे किसी से मोह्हबत है पर वो मैं नहीं हूँ,
ये बात उसे मुझसे ज्यादा तबाह क़रतीं है।
VSG-
सबसे दूर करके के पास बुलाया क्यों था?
यही ज़ख्म तो हर जगह मिल रहा था.....
VSG-
ग्रेजुएशन ख़त्म करते करते इंसान इतना कुछ सह चुका होता है कि वो छोटी मोटी प्रॉबलम्स के लिए तो हमेशा तैयार ही रहता है। चार साल बंदा चाहे कॉलेज को बिना नागा किये गालियाँ देने में निकाल दे पर जब उसी कॉलेज को अलविदा कहने की बात आये तो दिल गिरकर पेट में कहीं बैठ जाता है।
इतना मुश्किल मुझे कभी बायोकेमिस्ट्री या एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग नहीं लगा जितना मुश्किल
बैग में आख़िरी बार सामान भरना था।
अगर तुम्हारी कॉलेज डिग्री ख़त्म हो रही है या होने वाली है तो एक बात की गाँठ बाँध के रख लो, याद रहे ! अपना बोरिया बिस्तर बाँध सबसे पहले निकलने में ही भलाई है मियाँ! वरना साला सब बहुत रुलाते हैं, इतना रुलाते हैं कि ससुरा डिहाइड्रेशन हो जाता है। मैं ख़ुद सारे दोषियों (read दोस्तों) से ग्लूकोज़ के पैसे वसूल करने वाला हूँ।
बहुत कुछ अधूरा रह गया यार!
शुक्रिया ADC
शुक्रिया बेहद कीमती यादें मेरी झोली में डालने के लिए बहुत प्यार मिला। बहुत यार मिले। (नाम नहीं लूँगा क्योंकि जिनको पता है उनको पता है)
फिर मुलाक़ात होगी!
VSG-