vinay vyash   (Vinay vyash)
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पहले तो वक्त से बहोत लड़ा ,
फिर कलम लिया और नीकल पड़ा।
Joined 6 May 2020


पहले तो वक्त से बहोत लड़ा ,
फिर कलम लिया और नीकल पड़ा।
Joined 6 May 2020
3 JUN 2022 AT 7:40

मेरी गली में ना भटकिए जनाब
हमारी कहानी में ना अटकिए जनाब
आदतें खत्म और जरूरतें पूरी हुई आपसे,
छोड़िए, अब अगली बस में लटकिए जनाब।

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20 NOV 2021 AT 21:40

अच्छा खेल और अच्छी खिलाड़ी है
यही तो उसकी रंगारंग अदाकारी है ,
हर स्टेशन पर गाड़ी बदल लेना उसका
यह एक मतलबी हमसफर की निशानी है।

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7 MAY 2021 AT 0:14

वो गुलाब देती रही
मैं उसे फूल समझता रहा ,
मैं गुलाब लेता रहा
वो मुझे fool समझती रही।

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21 FEB 2021 AT 19:14

बालों को उंगलियों से सुलझाया करो
और कभी कभी होठों से मुस्कुराया करो,
गर जो तुम्हे आग लगानी हो ना मोहल्ले में
तो मेरी जां, आंखों में काजल लगाया करो।
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25 JAN 2021 AT 23:22

खाली कर गया वो मुझको
कितना भर गया वो मुझको ,
देख मेरी आँखों में और पढ़
कितना कुछ कर गया वो मुझको।

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6 DEC 2020 AT 22:23

आजकल हर आम
तुझे अंजीर क्यों लगता है,,
अच्छा तो तुम साइंस की स्टूडेंट हो
तो बताओ ये आंसू इतना नमकीन क्यों लगता है।

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6 DEC 2020 AT 22:13

जिसकी कोई जुर्म ना हो
उसी पर इतना जुर्म संगीन क्यों लगता है,
मेरी जां , जो तुझे ना चाहे
वही तुझे इतना रंगीन क्यों लगता है।

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6 DEC 2020 AT 22:02

अपनी आंखों को समझा लो जरा
कि अब मेरी नियत थोड़ी थोड़ी गिर रही है,
जिसे इधर होना चाहिए था वो अब भी
इधर ही है,, तू कोन सा भरम पाले फिर रही है।

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4 DEC 2020 AT 22:20

जिस कलम से मैंने खत लिखा था
बहोत जल्द ही उसे रुखसत कर दिया मैंने ,
वो लड़की दिल से निकलना चाह रही थी
कुछ पैसे जुटाया और किराए का एक बस कर दिया मैंने।

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4 DEC 2020 AT 21:47

तेरी जुबां पर सवाल कब किया
जो तूने कहा वो सब किया
फिर तूने ऐसा अदब किया
मेरी जां जा तूने गजब किया।

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